मिट्टी-सीमेंट नहीं, जूट से बन रहा गमला, इको फ्रेंडली है, पौधों के लिए वरदान, कीमत भी किफायती

जूट के द्वारा गमला बनाया जा रहा है, जो बागवानी करने वाले लोगों तथा घर पर सजावटी सामान रखने वालों के लिए एक शानदार विकल्प है। तो चलिए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

सीमेंट और चीनी मिट्टी के गमले का नुकसान

सीमेंट और चीनी मिट्टी के गमले कुछ समय पहले तक बहुत प्रचलित हो गए थे। इनमें से चीनी मिट्टी के गमलों का उपयोग आमतौर पर सजावटी रूप में किया जाता था। लेकिन अगर ये टूट जाएं और कहीं फेंक दिए जाएं, तो ये मिट्टी में मिलते नहीं हैं। ये लंबे समय तक वैसे ही पड़े रहते हैं और किसी को चोट भी लग सकती है।

वहीं, सीमेंट के गमलों में पानी का प्रवाह और वायु संचार ठीक से नहीं हो पाता, जिससे पौधे अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाते। ऐसे में, जूट का गमला एक बेहतरीन और फायदेमंद विकल्प बनकर सामने आ रहा है। आइए, अब जानते हैं हाथ से बने इन जूट के गमलों के बारे में।

जूट के गमले के फायदे

जूट के गमले हाथों से बनाए जा रहे हैं। हाल ही में समस्तीपुर जिले के एक कारीगर धर्मेंद्र ने इसकी कई विशेषताओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आसपास की महिलाएं भी जूट के गमले बनाने का कार्य कर रही हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।

जूट का गमला पूरी तरह से इको फ्रेंडली होता है। इसे हाथों से बनाया जाता है, इसमें किसी मशीन का उपयोग नहीं होता। जब इसमें पौधे लगाए जाते हैं, तो उनकी जड़ों को पर्याप्त हवा मिलती है और उन्हें कोई नुकसान नहीं होता। ये गमले हल्के होते हैं, इसलिए इन्हें घर के भीतर सजावट के रूप में भी रखा जा सकता है। अगर इन्हें कहीं फेंक भी दिया जाए, तो ये धीरे-धीरे मिट्टी में मिल जाते हैं और खाद का काम करते हैं। इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता। अब आइए, इसकी कीमत के बारे में जानते हैं।

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जूट के गमले की कीमत

जूट से बैग, चटाई, फूल, फूलदान, रस्सियाँ आदि कई उत्पाद बनाए जाते हैं। कई लोग इसे अपना स्वरोजगार भी बना चुके हैं। आज हम बात कर रहे हैं “मधुबाला जूट एंड क्राफ्ट” की, जो जूट से कई प्रकार के उत्पाद तैयार कर रहे हैं। वे जूट का गमला ₹350 में बेचते हैं और दावा करते हैं कि यह टिकाऊ है और लंबे समय तक चलता है। इसमें पौधे लगाने पर पौधे स्वस्थ रहते हैं और उनकी वृद्धि तेजी से होती है।

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