अखरोट की खेती में अब अधिक उत्पादन और बेहतर कमाई के लिए एक नई किस्म विकसित की गई है, जिसे आईसीएआर द्वारा तैयार किया गया है-
अखरोट की नई वैरायटी हुई विकसित
अखरोट की खेती किसानों के लिए लाभकारी मानी जाती है। अखरोट सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है, यह वजन को नियंत्रित करता है, दिमाग को तेज करता है, दिल के लिए अच्छा है और त्वचा व बालों के लिए भी लाभकारी है।
इसी कारण, इसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। किसानों को चाहिए कि वे बेहतर किस्म लगाएं, ताकि अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकें। इसी कड़ी में, आईसीएआर सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेंपरेचर हॉर्टिकल्चर, श्रीनगर ने अखरोट की नई किस्म CITH Prolific विकसित की है। आइये इसके बारें में जानते है।
अखरोट की CITH Prolific किस्म
अखरोट की CITH Prolific किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें किसानों को पहले से अधिक उत्पादन मिलेगा। यह एक लैटरल बेरिंग किस्म है, जिसमें लगभग 50% अधिक फल शाखाओं के किनारों पर लगते हैं। जिससे उत्कृष्ट गुणवत्ता के कारण आने वाले समय में इसकी मांग बढ़ने वाली है। इसकी गिरी निकालने में आसानी होती है और इसका रंग हल्का होता है।
यह भरी और मोटी होती है। लगभग 49% रिकवरी, यानी 1 किलो अखरोट से लगभग आधा किलो गिरी मिल जायेगी। इससे समय और खर्च, दोनों की बचत होगी और किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा। यह किस्म चार से पांच टन तक उत्पादन देने में सक्षम है। जो कि अच्छा है।
अखरोट की खेती
अखरोट की खेती मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है, जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर इत्यादि। इनमें से जम्मू-कश्मीर अखरोट का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है।
इसके लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है। अखरोट का पेड़ सामान्यतः 5 से 7 साल में फल देने लगता है, जबकि कुछ वैरायटी 8 से 10 साल में तैयार होती हैं। इसलिए किसानों को इसकी खेती में धैर्य रखना आवश्यक है।