एक ही शर्त पर मिलेगा सरकारी सब्सिडी का लाभ, जब पालेंगे गाय या भैंस की कोई एक नस्ल, जानिए नई गाइडलाइन

अगर आप भी प्रदेश की सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं या उठाना चाहते हैं तो चलिए आपको सरकार की नई गाइडलाइन के बारे में बताते हैं-

सरकारी सब्सिडी का लाभ

सरकारी सब्सिडी का लाभ कई क्षेत्रों में दिया जा रहा है, जिसमें खेती, पशुपालन में भी सरकारी सब्सिडी मिलती है, जिससे खेती और पशुपालन की लागत कम होती है, जिसमें पशुओं की खरीद, उनके रहने के स्थान, चारा, अनाज, विभिन्न प्रकार की सब्सिडी दी जाती है, जिसमें अब एक नई गाइडलाइन जारी की गई है, सब्सिडी का लाभ आपको तभी मिलेगा जब आप गाय या भैंस पालेंगे।

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सब्सिडी के लिए यह गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमें एक पशुपालन करना होगा, या तो गाय या भैंस, और दोनों में एक ही नस्ल चुननी होगी, अलग-अलग नस्ल नहीं पाली जा सकती। आइए जानते हैं किस सब्सिडी की बात हो रही है।

डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालन के लिए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना चलाई जा रही है, जिसकी नई गाइडलाइन भी जारी की गई है। इस नई गाइडलाइन के अनुसार, इस योजना का लाभ लेने के लिए पशुपालकों को गाय या भैंस पालना होगा और उन्हें एक ही नस्ल चुननी होगी। डॉ भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के तहत सामान्य और एसटी, एससी वर्ग के लाभार्थियों को भी लाभ मिलता है. जिसमें सामान्य वर्ग के लोगों को 25% और एसटी एससी वर्ग के लोगों को प्रति यूनिट 33% सब्सिडी दी जाती है.

प्रति यूनिट कितनी गायों का पालन करना होगा?

अगर आप डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको एक यूनिट में कम से कम 25 दुधारू पशुओं का पालन करना होगा. इसके लिए सरकार 25 से 33% तक की सब्सिडी दे रही है. यहां देसी गायों के पालन में कम खर्च आता है और दूसरी शंकर गायों और भैंसों के पालन में ज्यादा खर्च आता है. इस योजना के तहत किसानों और पशुपालकों को लोन भी दिया जाता है, जिसे 3 साल तक बिना ब्याज के चुकाया जा सकता है और कुल अवधि 7 साल तक की है, यानी आपको 7 साल में लोन चुकाना होगा.

इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक के पास कम से कम 3.5 एकड़ जमीन होनी चाहिए. यह एक यूनिट के लिए निर्धारित की गई है. अगर आपने पशुपालन में ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन नहीं किया है तो आपको किसी सरकारी संस्थान में जाकर पशुपालन की ट्रेनिंग लेनी होगी। यह भी एक शर्त है।

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इन देशी नस्लों को चुन सकते हैं

इस योजना को शुरू करने के पीछे राज्य सरकार का उद्देश्य यह है कि गाय-भैंस का पालन हो और प्राकृतिक खेती करें। अगर आप खेती से जुड़े हैं तो प्राकृतिक खेती करें, दूध उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए और नस्ल सुधार भी किया जाए जिसमें आप साहीवाल, थारपारकर, गिर, रेड सिंधी जैसी भारतीय मूल की देशी नस्लों को चुन सकते हैं। इसके अलावा अगर आप भैंस पालना चाहते हैं तो मुर्रा भैंस पाल सकते हैं जो सबसे ज्यादा दूध देती है। इसके अलावा सूरती, मेहसाना और भदावरी भी अच्छी नस्लें हैं। गाय भैंस का पालन कमाई का अच्छा विकल्प है। जिसपर सरकार सब्सिडी और लोन भी दे रही है।

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