प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए और डेयरी कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास करें। जिसमें आज राज्य सरकार को नाबार्ड की तरफ से 900 करोड रुपए की बड़ी सौगात मिली है चलिए योजना के बारे में जानें-
किसानों के लिए खुशखबरी
खेती और पशुपालन के लिए केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। जिससे उनकी आर्थिक मदद की जा सके। साथ ही खेती का नया मॉडल भी सरकार लाती है, जिससे किसानो को फायदा होता है। वहीं पशुपालन से जुडी भी विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। जिसमें आज हम हिमाचल प्रदेश की बात कर रहे है। राज्य सरकार ने किसानों और पशुपालको के लिए करोड़ो रु का प्रोजेक्ट बना रही है।
जिसमें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि राज्य सरकार 2024-25 के लिए 903.21 करोड़ रु के करीब 127 प्रोजेक्ट में काम करेगी। यह राशि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा मिली, खेती, डेयरी प्लांट, जल शक्ति विभाग और लोक निर्माण विभाग के विकास पर सरकार का ध्यान होगा। जिससे प्रदेश का विकास होगा। इस तरह एक बड़ा बदलाव इस क्षेत्र में देखा जा रहा है।
विधायकों के साथ होगी चर्चा
कार्य बढ़िया तरीके से हो इसके लिए क्षेत्रों के विधायकों से संपर्क किया जाएगा। जिसमें कांगड़ा, कुल्लू के आलावा किन्नौर जिले के विधायकों के साथ बैठक होगी। जिसमें लोक निर्माण विभाग में 412.75 करोड़ रु खर्च होंगे जिसमें करीब 50 योजनाएं शामिल होंगी। वही जल शक्ति विभाग में 179.07 करोड़ रु की 23 योजनाएं चलाई जाएंगी।
जिससे बड़ा फायदा होगा। इतना ही नहीं आपको बता दे कि कांगड़ा जिले के लोगो को भी लाभ होगा, वहां पर डगवार में करीब 1.5 लाख लीटर एक दिन में क्षमता वाले डेयरी प्रॉसेसिंग प्लांट लगाए जाएंगे, और 96 इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन बनाये जाएंगे। जिससे पशुपालको की कमाई अधिक होगी।
प्राकृतिक खेती में ध्यान देगी सरकार
प्राकृतिक खेती से किसानों को कई फायदे है। इस लिए विभिन्न राज्य सरकारें किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है। जिससे उनका ध्यान केंद्रित हो, जिसमें हिमाचल प्रदेश में भी प्राकृतिक खेती पर ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि कृषि विभाग के द्वारा प्राकृतिक खेती के लिए किसानो को प्रोत्साहित किया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य होगा कि सभी खेत इस साल प्राकृतिक खेती के लिए तैयार हो जाए। जिसमें करीब 1 लाख परिवार, प्राकृतिक खेती से जुड़ेंगे। इस तरह अब किसानो को खेती का सही तरीका मिलेगा। अनाज सेहत के लिए फायदेमंद होगा। पर्यावरण प्रदूषण नहीं होगा।