साधारण सी ना-पसंद सब्जी से 5 लाख रु कमा रहा किसान, धड़ाधड़ होती बिक्री, खर्चा भी नाम मात्र का आता है, जानिये कैसे

साधारण सी ना-पसंद सब्जी से 5 लाख रु कमा रहा किसान, धड़ाधड़ होती बिक्री, खर्चा भी नाम मात्र का आता है, जानिये कैसे।

ना-पसंद सब्जी से 5 लाख रु कमा रहा किसान

खेती में सफलता सभी किसान प्राप्त करना चाहते हैं। लेकिन नई-नई सब्जियां, नई खेती में हाथ मारने से घबराते हैं। कहीं खर्च अधिक न लग जाए और हम बिक्री न कर पाए। तो ऐसे किसानों के लिए आज हम कमाल की खबर लेकर आए हैं। आपको बता दे कि आप साधारण सब्जी से भी तगड़ी कमाई कर सकते हैं। जी हां आपको बता दे की बागपत के किसान इरशाद 10 सालों से तोरई की खेती करते आ रहे हैं और आज उन्हें तोरई की खेती से ₹500000 का मुनाफा मिल रहा है।

तोरई जिसे सभी पसंद नहीं करते हैं। घर पर बच्चे तोरई देखकर सब्जी ना खाना पसंद करते हैं। हरी सब्जियों में तोरई बहुत कम लोगों को पसंद होती है। लेकिन फिर भी किसान इरशाद को इससे अच्छी खासी कमाई हो रही है। तो चलिए आपको बताते हैं इसमें उन्हें कैसे खर्च लगता रहा है। क्या वह इससे खुश है और कितने बीघे की जमीन में वह खेती कर रहे हैं। जिससे उन्हें 5 लाख तक फायदा हो रहा है।

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इसमें खर्चा कम मुनाफा ज्यादा

किसान तोरई की खेती से बेहद खुश है। वह कहते हैं कि इसमें खर्च कम आता है। ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती। जिसकी वजह से लागत और कम हो जाती है। तोरई की खेती करना आसान है। यहां पर उन्हें एक दिक्कत बस ये आती है कि इसमें कीटों की समस्या बहुत ज्यादा है। वह कहते हैं कि तोरई के पत्ते बड़े होते हैं। जिसके वजह से इसमें कीट अधिक लगते हैं। लेकिन आजकल कई ऐसे देसी और केमिकल वाले कीटनाशक भी आते हैं। आप चाहे तो घर पर भी कीटनाशक तैयार करके यह खर्चा भी बचा सकते हैं। 10-15 दिन के अंतराल में घरेलू कीटनाशक छिड़केंगे तो भी उतना ही फायदा होगा।

आपको बता दे की यह किसान आसपास की मंडी के साथ-साथ बागपत के अलावा दिल्ली की बड़ी मंडियों में भी अपनी सब्जी भेज देते हैं। कहते हैं कि फटाफट इनकी बिक्री हो जाती है। बाजार में ₹40 किलो इस समय तोरई जा रही है। जिससे उन्हें अच्छा खासा फायदा इस खेती में हो रहा है।

जानिये कितने बीघा जमीन में करते है खेती

किसान खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यह करीब 12 बीघा की जमीन में तोरई ही उगाते हैं। जिससे उन्हें अन्य फसलों के हिसाब से ज्यादा फायदा हो रहा है। इसीलिए वह सिर्फ तोरई ही लगाते हैं। यह नई सब्जियों की खेती नहीं करते हैं। इन्हें पुरानी सब्जी की खेती में ही इतना ज्यादा फायदा हो रहा है।

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नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद 

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