मध्य प्रदेश वर्षा आधारित क्षेत्र विकास योजना MP के किसानों के लिए बनेगी वरदान जानिए इसके फायदे-
मध्य प्रदेश वर्षा आधारित क्षेत्र विकास योजना
मध्य प्रदेश वर्षा आधारित क्षेत्र विकास योजना का फायदा लेकर किसान उत्पादकता में वृद्धि कर सकते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का जैसे की मिट्टी का संरक्षण कर सकते हैं और पानी का संरक्षण कर सकते हैं। इसके साथ ही बुनियादी ढांचे और प्रसंस्करण सहित दाल, बाजरा और तिलहन उत्पादन की बढ़ोतरी कर सकते हैं। इस योजना के तहत पशुधन प्रणाली के स्वास्थ्य, देखभाल, प्रजनन, चारा आदि का व्यापक समर्थन किया जाता है। इससे किसान जलवायु परिवर्तन के जोखिम से बच सकते हैं।
किसानों को कृषि पद्धतियों और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जिससे किसान अच्छी खेती करके ज्यादा उत्पादन का मेहनत में प्राप्त कर पाते हैं। इस योजना के तहत प्रति परिवार ₹30000 तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। जिसमें एकीकृत कृषि प्रणालियों को अपनाने के लिए यह पैसा किसानों को मिलता है।
एकीकृत कृषि प्रणाली क्या है
MP के किसानों को एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने के लिए इस योजना का फायदा दिया जा रहा है। जिसके अंतर्गत पारंपरिक कृषि बागवानी, पशुधन, मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, वर्मी कंपोस्ट यूनिट की स्थापना, मछली पालन, आदि के संबंध में गतिविधियों को जोड़ने का काम किया जाता है। इसी योजना के तहत किसान सूखे, बाढ़ और या प्राकृतिक आपदा की घटनाओं को कम करने में योगदान दे सकते हैं। इस योजना के तहत मृदा का परीक्षण किया जाता है, पोषक तत्व का प्रबंधन किया जाता है और स्वदेशी बीज के इस्तेमाल की योजनाएं बनाई जाती हैं।

किसे मिलता है योजना का फायदा
इस योजना का फायदा उन किसानों को मिलता है, जो की वर्षा आधारित क्षेत्रों में रहते हैं। जिसमें स्थाई वर्षा आधारित क्षमता वाली जमीन किसान के पास होनी चाहिए। बेहतर अभिसरण के साथ स्थानीय भागीदारी के लिए 100 हेक्टेयर या उससे ज्यादा के समूह पर परियोजनाएं प्रस्तावित हो रही हैं। यह योजना अभिसरण कार्यक्रम के अंतर्गत संसाधन संरक्षण गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम कर रही है।
योजना का लाभ किसानों को कैसे दिया जाता है
योजना का लाभ लेने के किसान भाई लेने के लिए पहले पात्रता की जांच करें, जिसमें गांव क्लस्टर की जानकारी लें, जिसके लिए जिला/ब्लॉक कृषि अधिकारी से बात करें, इसके बाद प्रस्ताव मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय मंजूरी समिति (एसएलएससी) के पास आते है, फिर कार्य एजेंसी या फिर नामित परियोजना प्रमोटर के द्वारा आगे की कार्यवाही होती है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को उत्पादन बढ़ाने, जोखिमों को कम करने के संबंध में एक कृषि प्रणालियों को अपनाने की वित्तीय सहायता मिलती है। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को कोई आवेदन शुल्क नहीं जमा करना पड़ता।

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