मक्का और धान को छोड़ करें इस फसल की खेती, साल भर बनी रहती है खूब डिमांड, आजकल किसान खेती पर बहुत ज्यादा ध्यान देने लगे है। आज के समय में मोटे अनाज का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। इस संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत के इस प्रस्ताव को साल 2023 को मिलेट्स वर्ष ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित कर दिया गया है। इन मोटे अनाजों में आपको जैसे ज्वार, जई, जौ, मक्का, कंगनी, कोदो, रागी, बाजरा जैसी कई खास फसले हैं। इन मोटे अनाजों को गरीबों के अनाज के नाम से पहचाना जाता है। जिसका उपयोग भोजन, चारा और जैव ईंधन तैयार करने के लिए करते है। आइए इस फसल के बारे में हम आपको विस्तार से बताते है।
उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
ज्वार की खेती खरीफ के मौसम में की जाती है। ज्वार की बुवाई का समय लगभग 10 जून से लेकर 30 जून के मध्य होता है। ज्वार की खेती जायद के समय भी की जा सकती है। जिसकी बुवाई का समय लगभग 15 फरवरी से लेकर 30 मार्च तक होता है। ज्वार की फसल के लिए लगभग 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड सबसे उपयुक्त माना जाता है। ज्वार की खेती के लिए मिट्टी की अगर बात करें तो बलुई मिट्टी और दोमट मिट्टी सबसे अच्छी कही जाती है। ज्वार की फसल के लिए मिट्टी का पीएच मान लगभग 6.5 से लेकर 7 के मध्य होना आवश्यक है।
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ज्वार की खेती का सही समय
अगर आप ज्वार की बुवाई खरीफ के फसल के समय करते हैं तब आपको इसकी बुवाई मानसून के प्रारंभ होते ही करनी चाहिए जून के दूसरे हफ्ते से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक आप इसकी बुवाई कर सकते हैं। समान अंकुरण को निश्चित करने के लिए आपको टॉप लगभग 30 सेंटीमीटर मिट्टी की परत वर्षा जल से चार्ज होनी चाहिए। मिट्टी की नमी लगभग फसल की बुवाई के वक्त खेत की क्षमता के बराबर या उससे ज्यादा हो तो अच्छा होगा।
अगर आप ज्वार की खेती रब रवि की फसल के समय करते हैं। आपको इसकी बुवाई अक्टूबर से लेकर फरवरी के मध्य करनी चाहिए। बुवाई के वक्त रात का तापमान लगभग 15 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ही होना चाहिए। सिंचाई एक समान अंकुरण और स्थापना को निश्चित करने के लिए आपको बुवाई के समय वर्षा नहीं होगी उस समय ही करें।
खेती का तरीका और बुआई
ज्वार के लिए खेती तैयार करने के लिए आपको सबसे पहले खेत की दो बार जुताई कर लेना चाहिए। इसके बाद आपको प्लाऊ कर लेना चाहिए। जिससे कि आपका खेत समतल हो जाए ज्वार की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए आपको लगभग पास से लेकर 8 किलोग्राम बीच की आवश्यकता पड़ती है।
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बुवाई के वक्त बीच का उपचार जरूर कर ले आपके बीच का रासायनिक तरीके से उपचार करने के लिए लगभग 2 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड जिसके साथ 2.5 ग्राम थ्योरम से 1 किलो बीच के हिसाब से उपचारित होना चाहिए। इस फसल की बुवाई करते समय पौधे को लगभग 15 सेंटीमीटर और क्यारियों से क्यारियों की दूरी 25 से लेकर 30 सेंटीमीटर होना आवश्यक है बीज को 1 सेंटीमीटर की गहराई में बुवाई करना होगा।
उत्पादन और मुनाफा
ज्वार की कई ऐसी किस्मे है जिसकी औसतन प्रति हेक्टेयर लगभग 25 क्विंटल पैदावार हो जाती है। वहीं इसके पौधे से सूखा चारा आपको लगभग 100 से लेकर 150 क्विंटल तक मिल जाता है। जिससे दोनों का मार्केट में दाम लगभग ढाई हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पाया जाता है। जिसके मुताबिक किसान एक बार इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर से 60000 के लगभग कमाई कर सकता है।