मध्य प्रदेश की कंचन वर्मा ने हल्दी की खेती से रचा इतिहास, सांगली हल्दी से कमा रही हैं सालाना 30 लाख

On: Monday, September 8, 2025 12:53 PM
कंचन वर्मा

मध्य प्रदेश के नर्मदापुर गाँव की रहने वाली कंचन पारंपरिक खेती छोड़कर सांगली हल्दी से अपनी आमदनी दोगुनी कर लिया है। आइए उनकी सफलता की पूरी कहानी जानते हैं।

कंचन वर्मा कौन हैं

कंचन वर्मा मध्य प्रदेश के नर्मदापुर गाँव की रहने वाली हैं और उन्होंने बीए किया है। नर्मदापुर की काली मिट्टी फसलों के लिए उपजाऊ मानी जाती हैं। कंचन का परिवार पारंपरिक फसलों जैसे सोयाबीन, मक्का और गेहूं उगाते है। पारंपरिक खेती में आमदनी उतनी नहीं रहती जितनी होनी चाहिए। इसलिए इन्होंने नई फसल की खेती करने की सोची।

सांगली हल्दी की खेती करने का आइडिया कैसे आया

कंचन वर्मा पारंपरिक खेती करती थी पर वे हमेशा खेती के बारे में नई आइडिया और नई फसलों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहती थी। ऐसे में एक दिन उन्होंने टीवी पर हल्दी के गुण के बारे में जाना उन्हें पता चला की हल्दी का प्रयोग बहुत से चीजों में किया जाता जैसे खाने से लेकर दवाइयों और ब्यूटी क्रीम में भी। जिसके बाद उन्होंने हल्दी की खेती की जानकारी लेने ले लिए कृषि विज्ञान केंद्र में 7 दिन का ट्रेनिंग किया, जिसमे हल्दी की खेती के बारे में उन्हें जानने को मिला।

जैविक ढंग से उपजा रही हल्दी

कंचन ने खेती के लिए सांगली हल्दी को चुना है। इस हल्दी की किस्म में करक्यूमिन पाया जाता जो की स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और इसका उपयोग बहुत से दवाइयों में किया जाता है। हल्दी की खेती की शुरुआत उन्होंने 2020 में की थी जिसके लिए उन्होंने अपने खेत में जैविक ढंग अपनाकर खेती की । खाद के जगह गोबर और कीटों से बचने के लिए जीवामृत को उपयोग किया। जैसा की हम जानते की जैविक ढंग से खेती करने में थोड़ी परेशानी तो आती है लेकिन ये मिट्टी, पर्यावरण और इंसान सभी के लिए सही रहता है। और आज कल लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जागरूक हो गए हैं और मार्केट में जैविक चीजों की मांग ज्यादा रहती है।

सांगली हल्दी से 30 लाख तक आमदनी

पहले जब वे पारंपरिक खेती करती थीं , तब उन्हें एक एकड़ से डेढ़ लाख तक आमदनी होती थी। जो कि अब हल्दी की खेती से दोगुनी हो गई हैं। पहले साल की फसल से ही आमदनी अच्छी होने लग गई थी, और अब उनकी सालाना आमदनी 30 लाख तक पहुंच गयी है।

वे बाकी सभी किसान के लिए प्रेरणा बन गई है। और सभी को जैविक खेती के तरीकों को अपनाकर, कुछ अलग फसलों के साथ खेती करने की सलाह दे रही हैं।

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