आज हम सफलता की कहानी में लेकर आए हैं मध्य प्रदेश के किसान कृष्ण कुमार सिंह की कहानी, जो लाल चंदन की नर्सरी से आमदनी अर्जित करने के साथ दूसरों को भी इसकी खेती के लिए शिक्षित कर रहे हैं।
कृष्ण कुमार सिंह जी का परिचय
कृष्ण कुमार जी मध्य प्रदेश के सतना जिले के रहने वाले हैं। चंदन की खेती के बारे में वे यूट्यूब से सीखे। शुरुआत में तो शौक के लिए पौधे लगाया करते थे, लेकिन धीरे धीरे उनकी रूचि बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्होंने लाल चंदन और सफ़ेद चंदन के पौधों को बड़े स्तर पर लगाने लग गए। आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी।
चंदन की नर्सरी की शुरुआत
चंदन की नर्सरी की शुरुआत जब उन्होंने की तो उसमें उनके पिताजी ने उनका सहयोग किया। उनकी नर्सरी मैहर जिले के रीवा रोड पर है। कृष्ण जी का कहना है की चंदन का पौधा खरीदने पर कीमती पड़ता है, लेकिन अगर उसको बीजों से उगाते है तो सस्ते में चंदन के पौधे हो जाते हैं। वे चंदन के बीज बेंगलुरु से लाते हैं और खुद इसके पौधे उगाते हैं।
चंदन के लिए मिट्टी को ज्यादा खाद की जरूरत नहीं होती है। शुरुआत में जब पौधे निकल जाते तब वृद्धि के समय थोड़ी खाद देनी होती है। मिट्टी की बात करें तो लाल मिट्टी के 2 भाग,खाद के 1 भाग और बालू के 1 भाग को मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। पौधों के विकास के लिए मिट्टी हमेशा नम होना चाहिए। अंकुरित होने के बाद एक दिन छोड़कर सिंचाई करें, और जब पौधे अच्छे से उग जाते है तो उसको प्लास्टिक के पैकेट में डाल देते हैं, जिसके बाद पौधे बड़े होने पर पौधों की बिक्री शुरू कर देते हैं।
चंदन के पौधे और बीज विदेश तक जाते हैं
कृष्ण कुमार अपने लाल चंदन के पौधों और बीजों को देश विदेश तक भेजते हैं। विदेश जैसे साउथ अफ्रीका, जर्मनी, पाकिस्तान और वियतनाम तक जाते हैं। इन देशों में चंदन की डिमांड ज्यादा है, पर सप्लाई कम है इसलिए मन मुताबिक भाव मिल जाता है। हमारे देश में भी चंदन की मांग 300 प्रतिशत है, पर उत्पादन बस 30 प्रतिशत ही है। डिमांड ज्यादा होने के कारण कृष्ण कुमार जी की नर्सरी से उन्हें सालाना लाखों में आमदनी हो रही हैं।
नर्सरी के आलावा उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल भी बना रखा है, जहां वे चंदन की खेती से जुड़ी सभी तकनीक साझा करते हैं, जिससे लोगों को चंदन की खेती से जुड़ी जानकारी सिखने को मिल रही है। इस चैनल से भी उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है।
कृष्ण कुमार सिंह जी की सफलता की कहानी से हमने यह सीखा कि शौक से किया गया काम भी आमदनी का जरिया बन सकता है।
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