आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जो इंजीनियरिंग कर रहे थे लेकिन इन्होंने इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद में फैसला लिया कि यह नौकरी ना करके खेती करेंगे और उनकी पुश्तैनी जमीन को सही तरह से इस्तेमाल करेंगे इसके बाद इन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद प्रगतिशील किसान बनने के बारे में सोचा। इसके बाद वह इस संकल्प के साथ घर आए कि वह अपनी जमीन को बंजर नहीं होने देंगे और इन्होंने मछली पालन के बारे में सोचा इतना ही नहीं इन्होंने मछली पालन भी नए तरीके से शुरू किया।
जिसकी आज मार्केट में बहुत ज्यादा डिमांड है नई प्रजाति की मछलियां जिनका पालन यह किसान करते हैं। आपको बता दे की वाराणसी के बाजार में हैदराबाद से प्यासी मछलियां मंगाई जाती है जिसकी मार्केट में धड़ल्ले से बिक्री होती है। आइए इस किसान की सफलता के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मछली पालन का अनोखा तरीका अपनाया
प्रगतिशील किसान वाराणसी जिले के उन्दी कोट गांव के निवासी है और उनका नाम हर्ष कुमार सिंह है। आपको बता दे की इन्होंने इस व्यापार को शुरू करने से पहले कई क्षेत्रों में जा जाकर इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल की जिसके बाद में इन्होंने मछली की प्रजाति को चुना और अपने गांव जाकर लगभग दो एकड़ जमीन में तालाब खुदवाकर प्यासी मछली का पालन शुरू किया। इसके बाद में उनको इस काम के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संप्रदाय योजना के चलते लगभग 426000 की धनराशि प्राप्त हुई जो उनके लिए बहुत बड़ी मदद थी।
किसान का कहना है कि यह मछलियां मंगवा करके इसके बीज को सीधे तालाब में नहीं डालते बल्कि इसके लिए एक अलग से तालाब बनाया गया है जो की 1000 वर्ग मीटर का है मार्च महीने में इसको पहले उसमें डाला जाता है उसके बाद में अच्छी तरह से इनको फीड देते हैं ऐसा इसीलिए क्योकि तालाब छोटा होने के कारण अच्छी तरह से देखभाल होती है और 3 महीने के बाद में जब मछलियां बड़ी हो जाती है तब इसके बाद में जुलाई के समय में तालाब में डाल देते हैं और अक्टूबर आते-आते इन मछलियों की बिक्री शुरू कर देते हैं। इस प्रकार वह मछलियों का व्यापार कर रहे हैं।
इंजीनियरिंग छोड़कर मछली पालन में दिखाई रुचि
प्रगतिशील किसान हर्ष कुमार सिंह ने ऐसी मछली की प्रजाति को चुनकर वह अच्छे मछली पालक बन गए हैं। बता दे कि वह एक बार में लगभग 20000 मछलियों के बीज लाते हैं और उनको तालाब में डालते हैं और इसके बाद जब वह बड़ी हो जाती है तो बड़े तालाब में डालते है। इससे 200 क्विंटल तक तैयार हो जाती है जिसकी कीमत मार्केट में उनका लगभग 120 से ₹130 प्रति किलो मिलती है इससे उनका लगभग 26 लाख रुपए का मुनाफा हो जाता है जिसमें 16 से 17 लाख रुपए का खर्चा बीज और आहार में आ जाता है। वही ऐसे में इनको लगभग शुद्ध मुनाफा 7 से 8 लाख रुपए हो जाता है। आपको बता दे कि इसके अलावा यह 5000 रोहू मछली के बीज भी डालते हैं जिससे इनको लगभग 10 से 12 लाख की कमाई हो जाती है।
पानी को भी बनाया कमाई का जरिया
प्रगतिशील किसान इनके पास तालाब मौजूद है जिसका वह कमाई के लिए इस्तेमाल करते हैं। आपको बता दे कि यह तालाब के पानी को सिंचाई के लिए बेचकर भी कमाई करते हैं। मछली पालन की वजह से समय-समय पर इसका पानी बदलने होता है जिसकी वजह से यह लोगों को उसे पानी को बेच देते हैं जिससे लोग उसे पानी से अपने खेतों की सिंचाई कर लेते हैं। इस प्रकार यह 3 तरीकों से कमाई कर रहे हैं।