गेहूं की खेती से पिछले साल से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए तथा आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए चलिए बताते हैं कि कृषि वैज्ञानिक ने क्या जानकारी दी है-
गेहूं के बीज का उपचार
गेहूं की खेती से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए किसानों को शुरुआत से ही ध्यान देना होगा। सबसे पहले गेहूं के बीजों का उपचार करें, उसके बाद ही बुवाई करें। बीज उपचार के लिए 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम दवा का इस्तेमाल करें एक किलो बीज के लिए। एक एकड़ में करीब 40 किलो बीज लगता है, इस तरह से लगभग 100 ग्राम कार्बेन्डाजिम दवा की जरूरत पड़ेगी।
बीज उपचार करने से किसानों को कम से कम 30% ज्यादा उत्पादन मिल सकता है, क्योंकि इससे मृदा जनित रोग फसल में नहीं लगते और फंगस की समस्या भी नहीं आती।

गेहूं की बुवाई से पहले खेत की तैयारी
जिन किसानों ने धान या कोई और फसल पहले लगाई थी, उन्हें सबसे पहले खेत की सफाई करनी है। लेकिन यहां पर आपको पराली को जलाना नहीं है, बल्कि उसका इस्तेमाल खाद की तरह कर सकते हैं।
इसके लिए रोटावेटर, कल्टीवेटर या हैरो से उसे अच्छे तरीके से खेत में मिला दें। फिर पानी भर दें और 10–15 किलो यूरिया या फिर डी-कंपोजर डाल दें, जिससे खेत बढ़िया तैयार हो जाए। उसके बाद जब आप खेत तैयार करते समय खाद डालें, तो आइए जानते हैं कि कौन-सी खाद कितनी मात्रा में डालनी चाहिए।
गेहूं की बुवाई के समय कौन-सी खाद डालें
बुवाई से पहले मिट्टी को पोषक तत्वों से भरपूर बनाने के लिए, आपको लगभग एक हेक्टेयर के अनुसार 40 किलो पोटाश, 60 किलो फास्फोरस, 150 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक देना चाहिए। पौधों को फास्फोरस सही मात्रा में देने के लिए, जब आप ड्रिल मशीन से बुवाई करें, तो फास्फोरस कोसीड ड्रिल के पहले नंबर के बॉक्स में डालें, जिससे यह बीजों के पास पहुंचे और उन्हें बेहतर पोषण मिले।
गेहूं की खेती का समय और फसल की देखभाल
गेहूं की खेती के समय के बारे में लगभग सभी किसानों को पता होता है, लेकिन कुछ किसान जो पहली बार गेहूं की खेती करने जा रहे हैं, उन्हें बता दें कि आप अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के अंतिम सप्ताह तक गेहूं की बुवाई कर सकते हैं। बुवाई आप सीड ड्रिल मशीन से करें। इससे फायदा यह रहता है कि बीज बराबर गहराई में पड़ते हैं और अंकुरण अच्छा होता है। बुवाई के 20–25 दिन बाद पहली सिंचाई करें। 30–35 दिन बाद खरपतवार को नियंत्रित करने का प्रयास करें।
अगर आप चाहें तो खरपतवारनाशी दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे गुल्ली डंडा जैसे खरपतवार खत्म हो जाएंगे, क्योंकि ये फसल पर असर डालते हैं। इसके अलावा संकरी पत्ती वाले और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार भी देखने को मिलते हैं, जिन्हें समय पर नियंत्रित करना बहुत जरूरी है।

नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको ‘काम की खबर’ दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद












