पढ़ा लिखा हुआ नौकरी करने के बजाय पुस्तैनी जमीन और लीज पर जमीन लेकर दूसरों के लिए बना मिसाल, कर रहा करोडो में कमाई, जानिये कैसे-
किसान का परिचय
पढ़े लिखे युवा भी आजकल खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, और अपना नाम भी बना रहे हैं। ऐसे ही आज हम एक सफल किसान की बात कर रहे हैं जो की खेती से करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। लेकिन शुरुआत उन्होंने पारंपरिक फसलों से की थी। लेकिन अब वह आलू की खेती करते हैं और आलू की कुछ ऐसी चुनिंदा वैरायटी लगाते हैं जिससे उन्हें करोड़ों का मुनाफा हो रहा है तो सबसे पहले हम किसान का परिचय जान लेते हैं।
किसान का नाम बोहाड़ सिंह गिल है और वह पंजाब के रहने वाले हैं। उन्होंने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में बैचलर इन साइंस की पढाई की है। वह एक पढ़े लिखे युवा है। लेकिन अब वह खेती करते हैं, 10 साल से वह खेती कर रहे है और आज उन्हें खेती से ढाई करोड रुपए सालाना कमाई हो रही है। इसीलिए हम किसानों को उनकी सफलता की कहानी बताने जा रहे। ताकि अन्य किसान भी उनसे प्रेरित होकर अपनी आमदनी को बढ़ा सके। तो चलिए आपको बताते हैं क्या खेती करते हैं, सरकारी मदद उन्हें कैसे मिली, कितनी जमीन में खेती करते हैं, और खेती में कितनी लागत आ रही है सब कुछ।
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आलू की इन दो किस्मों से हुआ मुनाफा
किसान पहले पारंपरिक फसलों की खेती करते थे जैसे कि गेहूं। लेकिन उन्होंने अन्य किसानों को देखा हुआ आलू की खेती से बंपर कमाई कर रहे थे। जिसके बाद उन्होंने 2 एकड़ की जमीन में आलू लगाने का फैसला लिया। आपको बता दे कि उनके पास 37 एकड़ पुस्तैनी जमीन थी, लेकिन अब वह 200 एकड़ की जमीन लीज पर लेकर खेती करते हैं। उन्होंने दो एकड़ की जमीन में जब आलू लगाया तो उन्हें अच्छी कमाई हुई।
जिसके बाद उन्होंने डायमंड और एलआर जो की शुगर फ्री आलू की किस्म है। वह कहते हैं कि वह ग्राहकों की मांग को पूरा तक नहीं कर पाते हैं। जबकि इतने बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं। इस हिसाब से आप समझ सकते हैं कि शुगर फ्री आलू की कितनी ज्यादा डिमांड है, और किसान को कितना इससे फायदा हो रहा है।
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सरकार से मिली सब्सिडी
किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र से लेकर विभिन्न राज्य सरकारे कई प्रकार की योजनाएं चला रही हैं। जिससे उनकी आर्थिक मदद की जा सके। जिसमे बीज, खाद, जमीन, कृषि यंत्र सभी चीजों पर सब्सिडी मिलती है। जिसमें किसान बताते हैं कि उन्होंने सिंचाई करने के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के लिए सरकार से आर्थिक मदद ली है। 40 एकड़ की जमीन में पहले उन्होंने स्प्रिंकलर सिस्टम लगाया। उसके बाद वह डेढ़ सौ एकड़ में इसे लगा चुके हैं।
क्योंकि इसमें उन्हें फायदा होता है। 50% तक पानी की बचत होती है, और 40% तक यूरिया की बचत होती है। सरकार से उन्हें इतनी मदद मिलेगी से ₹15000 उनके लागत आती है। बाकी सब्सिडी से हो जाता है। यह एक एकड़ का आंकड़ा बताया जा रहा है।
कमाई और लागत
कमाई के बारे में तो हमने चर्चा कर ली। वह 200 एकड़ की जमीन में खेती करते हैं और लीज पर भी उन्होंने जमीन ली है। इसमें से 37 एकड़ जमीन उनकी पुस्तैनी है, तो लीज पर जमीन लेने खेती मजदूरी आदि का भी खर्च आता है। जिसमें किसान बताते हैं कि एक एकड़ में उन्हें ₹70000 का खर्चा आता है, और सरकार से मिली आर्थिक मदद से उन्हें बहुत ज्यादा सहयोग हुआ है, और कमाई सालाना 2.5 एकड़ की होती है। प्रति एकड़ की बात करें तो ₹100000 का उन्हें शुद्ध मुनाफा होता है यानी की 70000 की लागत निकालने के बाद। इस तरह इस खेती से किसानों को फायदा हो सकता है।
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