फसल की पैदावार 30% तक बढ़ाएं, प्रति एकड़ 8 हजार रु अधिक कमाएं, जानिए मृदा परीक्षण का सही तरीका और समय

On: Monday, September 15, 2025 11:00 AM
मृदा परीक्षण से कमाई

मृदा परीक्षण आपके खेत की पैदावार को 20-30% तक बढ़ा सकता है। जानें कब और कैसे करें मृदा परीक्षण, और बनें सफल किसान-

मृदा परीक्षण का सही तरीका और समय

कृषि की सफलता काफी हद तक मिट्टी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद हैं और कौन से तत्वों की कमी है, यह जानना बहुत जरूरी होता है। इसी जानकारी के लिए मृदा परीक्षण कराया जाता है। मृदा परीक्षण से किसान सही खाद, उर्वरक और फसल का चुनाव कर सकते हैं। इससे न केवल उत्पादन बढ़ता है बल्कि लागत भी कम होती है और किसान को अधिक लाभ मिलता है।

मृदा परीक्षण का महत्व

मृदा परीक्षण करने से मिट्टी की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिलती है। अक्सर किसान बिना जांचे ज्यादा मात्रा में यूरिया, डीएपी और अन्य रासायनिक खाद का प्रयोग कर देते हैं, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति घट जाती है। मृदा परीक्षण के माध्यम से पता चलता है कि मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक, सल्फर और कार्बन जैसे तत्व कितनी मात्रा में हैं। यदि कोई तत्व कम है तो किसान उसे सही समय पर संतुलित मात्रा में खेत में डाल सकता है।

मृदा परीक्षण से फसल की पैदावार 15 से 25 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है। इससे मिट्टी का स्वास्थ्य बना रहता है और लंबे समय तक उत्पादन स्थिर रहता है। इसके साथ ही मृदा परीक्षण किसानों को रासायनिक खाद पर होने वाला अतिरिक्त खर्च भी बचाता है।

मृदा परीक्षण का सही समय

मृदा परीक्षण कराने का सबसे अच्छा समय फसल की कटाई के बाद होता है। जब खेत खाली हो जाए और उसमें कोई फसल खड़ी न हो, तब मिट्टी का नमूना लिया जाता है। इससे मिट्टी की सही स्थिति का पता चलता है। बरसात के मौसम में मृदा परीक्षण से बचना चाहिए क्योंकि पानी से पोषक तत्वों की वास्तविक स्थिति पता नहीं चल पाती।

हर तीन साल में एक बार मृदा परीक्षण कराना जरूरी होता है। इससे किसान को नियमित रूप से मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी मिलती रहती है। मृदा परीक्षण के लिए नमूना खेत के अलग-अलग स्थानों से 15 से 20 सेंटीमीटर गहराई तक से लेना चाहिए।

मृदा परीक्षण से कमाई

मृदा परीक्षण से किसान की सीधी कमाई होती है। जब मिट्टी की जरूरत के अनुसार खाद और उर्वरक डाले जाते हैं, तो उत्पादन बढ़ता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी किसान की गेहूं की फसल सामान्यतः 20 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन देती है, तो मृदा परीक्षण के आधार पर खाद डालने से यह उत्पादन 25 क्विंटल तक पहुंच सकता है। इसी तरह धान, गन्ना, दालें और सब्जियों की पैदावार में भी 20 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि संभव है।

इसके अलावा, अनावश्यक खाद डालने से जो 2000 से 3000 रुपये प्रति एकड़ तक अतिरिक्त खर्च होता है, वह बच जाता है। इस तरह किसान को एक तरफ लागत में बचत होती है और दूसरी तरफ उत्पादन भी बढ़ता है। कुल मिलाकर मृदा परीक्षण कराने से प्रति एकड़ 5000 से 8000 रुपये तक की अतिरिक्त कमाई हो सकती है।

निष्कर्ष

मृदा परीक्षण किसानों के लिए खेती में नई दिशा दिखाने का काम करता है। इससे मिट्टी का स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है, फसल की पैदावार बढ़ती है और किसान की आय दोगुनी हो सकती है। मृदा परीक्षण सही समय पर और सही तरीके से कराया जाए तो यह किसानों के लिए सबसे फायदेमंद कृषि उपायों में से एक है।

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