किसानों को निराई-गुड़ाई की झंझट ख़त्म, खाद-पानी का खर्चा भी कम, सरकार दे रही 50% सब्सिडी, सब्जी-फल की खेती करें किसान मल्चिंग विधि में फायदा ही फायदा।
किसानों को निराई-गुड़ाई की झंझट ख़त्म
फसलों से अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को निराई-गुड़ाई करनी पड़ती है। निराई-गुड़ाई करने से खरपतवार हट जाती है और मिट्टी भुरभुरी होती है। जिससे पौधों की ग्रोथ बढ़िया होती है। लेकिन निराई-गुड़ाई करने में किसानों को बड़ी मेहनत करनी पड़ती है। मगर इस मेहनत से किसान छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं मल्चिंग तकनीकी से। क्योंकि इस तकनीक का इस्तेमाल करने के बाद खेतों में खरपतवार उगेगा ही नहीं। तो चलिए जानते हैं इस तकनीक से खाद पानी का खर्चा कैसे कम होगा और सरकार इस तकनीक के लिए कैसे सब्सिडी दे रही है।
खाद-पानी का खर्चा भी कम
मल्चिंग तकनीक से अगर किसान खेती करते हैं तो सिर्फ निराई की समस्या ही नहीं समाप्त होती बल्कि खाद पानी का खर्चा भी कम आता है। इस तकनीक में खेतों में जोताई करने के बाद मेड बनाया जाता है और उस पर पन्नी बिछाकर पौधे लगाए जाते हैं। फिर जब पानी डाला जाता है तो जितनी मात्रा में पौधों को पानी की आवश्यकता होती है तो उतना ही पानी पौधों को दिया जाता है और इसी तरह खाद भी पौधों में डाला जाता है। बिना मतलब के पानी और खाद इस्तेमाल नहीं होता हैं।
जिससे खाद पानी का खर्चा कम हो जाता है। कम पानी में यह खेती हो जाती है और खाद भी आप पौधों के पास बस डालते हैं। जिससे ज्यादा खाद की भी जरूरत नहीं पड़ती। इस तकनीकी का इस्तेमाल करने से मिट्टी की उर्वरता और हवा संचार में सुधार होता है। गर्मियों में मिट्टी को ठंडक और सर्दियों में गर्मी मिलती है। साथ ही साथ पौधों में कीट नहीं लगते हैं ना ही किसी तरह की बीमारी आती है।

यह भी पढ़े- 3 हजार रु महीने की आएगी पेंसन, किसी भी राज्य से हो सरकार देगी बुढ़ापे में पैसा, जानिये पात्रता
सरकार दे रही 50% सब्सिडी
मल्चिंग तकनीक को लेकर सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। किसान इसका इस्तेमाल करें इससे उन्हें फायदा है। जिसमें आपको बता दे कि बिहार के गया जिले में अभी तक 16 हेक्टेयर इस विधि से खेती करने का लक्ष्य था। लेकिन अब इसे बढ़ाकर 34 हेक्टेयर किया गया है। जिसके बाद अब 34 हेक्टेयर में मल्चिंग तकनीक से खेती की जाएगी।
जिसका लाभ लेने के लिए किसानों को हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना पड़ेगा। इसके बाद मल्चिंग तकनीक लगाने के लिए सरकार की तरफ से 50% की सब्सिडी मिलेगी। यानी कि इसमें जितना भी खर्च आएगा सरकार उसका आधा देगी आधा बस किसानों को देना पड़ेगा। लेकिन इसमें किसानों को मेहनत और खर्चा दोनों कम आएगा। इस तकनीक से किसान मक्का के आलावा कई सब्जियों जैसे गोभी, टमाटर, प्याज, मिर्ची आदि और फलों की खेती कर सकते है।

नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको ‘काम की खबर’ दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद