खेतों के लिए अमृत है जीवामृत, घर पर ही बनाएं मिट्टी का अमृत, जानिए जीवामृत बनाने का आसान तरीका

खेतों के लिए अमृत है जीवामृत, घर पर ही बनाएं मिट्टी का अमृत, जानिए जीवामृत बनाने का आसान तरीका, जीवामृत कैसे बनाया जाता है। आज इसी के बारे में मैं आपको बताऊंगा तो चलिए जानते हैं।

खेतों के लिए अमृत है जीवामृत

एक ऐसी खाद होती है जिसको किसान अपने घर पर आसानी से तैयार कर सकते हैं। फसलों पर प्रभाव बहुत ही स्थाई होता है। इसके प्रयोग से न केवल उत्पादन अधिक प्राप्त हो जाता है बल्कि इसका खेत पर भी कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है। यह बहुत ही सस्ती खाद होती है। इसे बनाने के लिए पशुओं जैसे गाय व भैंस के मल-मूत्र का इस्तेमाल किया जाता है। यह प्राचीन काल से उपयोग की जा रही है। इसके इस्तेमाल की बात करें तो जब खेत में फूल आ जाए तब स्प्रे किया जाता है। चलिए इसे बनाने के बारें में जानते है।

जीवामृत बनाने की सामग्री

  • 10 किलो गाय का गोबर लेना है। गोबर जितना ताजा होगा और देसी गाय का होगा उतना ही अच्छा है। जितना गोबर कम दूध देने वाली गाय का होगा उतना ही अच्छा है।
  • 7 लीटर गोमूत्र लेना है।
  • एक किलोग्राम गुड लेना है।
  • एक किलोग्राम चने का आटा लेना है यानी बेसन।
  • 200 लीटर पानी लेना है।
  • 50 ग्राम बढ़िया पीपल के नीचे की मिट्टी लेनी है। मिट्टी के ऊपर किसी भी प्रकार की स्प्रे यानी कोई पेस्टिसाइड नहीं हुआ होना चाहिए।

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जीवामृत बनाने की विधि

गोबर, गोमूत्र, गुड, बेसन, पानी और पीपल के नीचे की मिट्टी लीजिए। इन सारे मिश्रण को या तो आप कंक्रीट से बनी किसी टंकी में डाल दीजिए या प्लास्टिक से बनी किसी टंकी में डाल दीजिए या फिर किसी मिट्टी के बर्तन में डाल दीजिए। अच्छे से मिलाकर इसे ऊपर से टाइट बंद देना है। 48 घंटे के लिए रख देना है। छाया में रखना है और उसके बाद में इसे 4 से 5 बार डंडे से अच्छे से हिलाकर और फिर इसका इस्तेमाल आपके खेत के अंदर करना है।

आपको 21 दिन बाद पहली सिंचाई जब आप खेत में करते हैं तब आपको यह डालना है और 200 लीटर प्रति एकड़ का जो है यह डालेगा। इसी के साथ-साथ आप हर 15-20 दिन बाद खड़ी फसल के अंदर इसके घोल को डाल सकते है।

जीवामृत कितने दिन तक इस्तेमाल करे

जीवामृत को एक बार बनाने के बाद 7 दिन ही इस्तेमाल हो सकता है। इसके बाद में उसका इस्तेमाल नहीं हो सकता। तीन बातों का ध्यान रखना है। एक जिस बर्तन में जीवामृत बनाएं वह अच्छे से साफ होना चाहिए। उसे ऊपर से टाइट बंद करना है, दूसरा उसे छाया में रखना है, तीसरा उसे 7 दिन से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना। आप इसे सिंचाई के साथ इसे डाल सकते हैं।

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