खरीफ सीजन में धान के बजाय इस फसल की खेती में किसानों को होगा अधिक मुनाफा, जानिये इसकी खेती का सही तरीका

खरीफ सीजन में धान के बजाय इस फसल की खेती में किसानों को होगा अधिक मुनाफा, जानिये इसकी खेती का सही तरीका। मिलेगी ज्यादा पैदावार।

धान के बजाय इस फसल की खेती में अधिक मुनाफा

ज्यादातर किसान धान की खेती में जुटे हुए है। उन्हें धान की खेती आसान लगती है। लेकिन कई किसान अब तिल की खेती करके ज्यादा फायदा उठा रहे है। क्योकि इसमें ज्यादा मुनाफा हो रहा है। बता दे कि तिल खरीफ सीजन की महत्वपूर्ण तिलहन फसल मानी जाती है। लेकिन बढ़िया उपज लेने के लिए किसान के पास टिल के बीजोपचार, बोने की विधि और हानिकारक कीटों एवं रोगों से फसल को बचाने की पूरी जानकारी होनी चाहिए। तो चलिए जानते है बढ़िया किस्म के बीज और उपचार के बारें में।

तिल के उन्नत किस्म और बीज उपचार

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दे कि तिल के बीजों की कई उन्नत किस्म है। जिनसे किसानों को अच्छी उपज मिलेगी। जिसमें टी-4, टी-13 टी- 12, के साथ टी-78 आदि आते है। वहीं बीज की मात्रा की बात करें तो अगर एकड़ में खेती करते है तो 4 से 5 किलोग्राम बीज लग जाएगा। इसके आलावा बीज में किसी तरह का बीज जनित रोग जड़ गलन ना उसके लिए पहले ही करीब एक किलोग्राम बीज में 2.5 ग्राम केप्टान या फिर थीरम फफूंदनाशक से उपचारित करना पड़ेगा। यहाँ पर एक और ऑप्शन है कि किसान चार ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी से भी बीज उपचारित कर सकते है। इस तरह जैसी किसान के पास सुविधा हो।

खरीफ सीजन में धान के बजाय इस फसल की खेती में किसानों को होगा अधिक मुनाफा, जानिये इसकी खेती का सही तरीका

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किसान तिल के बीज ऐसे बोयें

फसल से बढ़िया पैदावार मिले इसके लिए बुवाई का तरीका भी बढ़िया होना चाहिए। जिसमें एक्सपर्ट का कहना है कि तिल सीधी कतार में लगाना चाहिए, और दो कतारों के बीच की दूरी करीब 30 से लेकर 45 सेंटी मीटर हो तो बढ़िया होगा। वहीं दो पौधों के बीच की दूरी 10 से लेकर 15 सेंटीमीटर कर सकते है। इसके आलावा तिल के बीज कम गहराई में बोये। वहीं मिट्टी की बात करें तो तिल की खेती मटियार रेतीली मिट्टी में बढ़िया होती है। जिसमें मिट्टी का पीएच मान 5.5 से लेकर 8.0 रहे तो अच्छा माना जाता है। इस तरह किसानों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। चलिए जानें अब खेती कैसे तैयार।

ऐसे करें खेत की जुताई

किसी भी फसल की बुवाई किसान को सही समय और सही तरीके के साथ-साथ सही खेत की जुताई करने के बाद करनी चाहिए। जिसमें तिल की खेती की बात करें तो मिट्टी को बढ़िया से पाटा लगाने के बाद भुरभुरा करना होगा और बारिश होने से पहले खेत को जोत कर बराबर कर लेना चाहिए।

इस तरह एक – दो जुताई करने के साथ खेत में बढ़िया गोबर की पुरानी खाद करीब 10 से 15 टन एक एकड़ में डाल सकते है। इससे मिट्टी उपजाऊ हो जायेगी। इसके आलावा ज्यादा उपज लेने के लिए करीब 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 किलोग्राम फास्फोरस के साथ-साथ 15 किलोग्राम सल्फर एक हेक्टेयर में डाल सकते है। इससे भी फायदा होगा।

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