500 साल पुरानी और 60 से भी ज़्यादा धान को विलुप्त होने से बचाने वाले केरल के किसान चेरुवयाल रमन, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित

On: Tuesday, September 23, 2025 11:00 AM
farmer success story

आज हम बात करेंगे पद्मश्री चेरुवयाल रमन जी की, जो केरल के रहने वाले हैं, जिन्होंने 500 साल पुरानी और 60 से भी ज़्यादा धान की किस्मों को विलुप्त होने से बचाया है।

कौन हैं चेरुवयाल रमन

चेरुवयाल रमन वदनाड, केरल के रहने वाले हैं। वे कुरिच्या जनजाति से हैं, जो वायनाड की सबसे पुरानी ज़मींदार बिरादरी है। बहुत छोटी उम्र से ही उन्होंने खेती करना शुरू किया। उन्हें मिट्टी के बारे में जानना बहुत पसंद है, इसलिए जब वे छोटे थे तब से अपने बड़ों से मिट्टी के बारे में सीखते रहते थे। कई साल खेती करने के बाद उन्होंने देखा कि धान की बहुत सी किस्में विलुप्त होती जा रही हैं। इसके बाद उन्होंने इस समस्या पर काम करने की सोची। 

60 से भी ज़्यादा किस्म के धान को विलुप्त होने से बचाया

उन्होंने कुछ साल ये जानने की कोशिश की कि कौन-कौन सी किस्म विलुप्त होती जा रही हैं। उन्होंने देखा कि किसान हाई-यील्ड हाइब्रिड और जीएम बीजों की ओर बढ़ रहे थे, और हर एक मौसम में एक और पारंपरिक किस्म विलुप्त होती जा रही थी। इसके बाद उन्होंने अपनी 1.5 एकड़ ज़मीन पर हर देशी बीज को बोना और सुरक्षित करना शुरू किया। आज उनके खेत में कई देशी किस्में लहलहा रही हैं, जैसे सुगंधित गंधकाशाला और जीरकाशाला। इसके अलावा मन्नु वेलियन, चेम्बकम और थोंडी जैसी किस्में भी इसमें शामिल हैं। कुछ किस्में तो 500 साल से भी पुरानी हैं, और लगभग 60 किस्म की धान को उन्होंने विलुप्त होने से बचाया है।

उनके साहसी कदम के लिए मिला पद्मश्री

खेती तो बहुत किसान करते हैं लेकिन इन्होंने खेती के साथ धान की विलुप्त प्रजातियों को बचाया भी है। उन्होंने एक प्रक्रिया बनाई है जिसमें वे हर फसल के कटने के बाद उसे सावधानी से साफ करते, धूप में सुखाते और फिर उसे सुरक्षित सूखी घास में लपेटकर, बांस की पट्टियों से बाँधकर 150 साल पुराने मिट्टी के घर में रखते हैं, जहाँ प्राकृतिक आपदा का कोई असर नहीं होता है और सब कुछ पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। रमन इन धान को दूसरे किसानों को भी देते हैं, लेकिन एक शर्त के साथ 2 से 4 किलो बीज लो, बोओ और अगले साल उतनी ही मात्रा वापस लौटाओ, ताकि यह चक्र चलता रहे। उनसे सीखने कई किसान, छात्र और शोधकर्ता वायनाड आते हैं। धान संरक्षण के लिए भारत ने उन्हें 2023 में पद्मश्री देकर सम्मानित किया है।

उनकी यह पहल एक छोटी सी ज़मीन से शुरू हुई थी और आज उन्होंने 60 तरह की धान की किस्मों को विलुप्त होने से बचा लिया है, जिनमें से कुछ 500 साल पुरानी हैं। उनकी यह पहल सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। 

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