मनीष दुबे ने बीए तक की पढ़ाई करने के बाद परम्परागत खेती से कुछ अलग करने का सोचा। चलिए उनकी पूरी कहानी जानते हैं।
कौन हैं मनीष दुबे जी
मनीष दुबे कटनी जिले के बहोरीबंद विकासखण्ड के खड़रा गाँव के रहने वाले हैं। उन्होंने बीए तक की पढ़ाई की है। उनके पिताजी राम सेवक दुबे सेवानिवृत्त रेंजर हैं। मनीष पारंपरिक खेती करते थे जैसे गेहूं उड़द पर इन फसलों से आमदनी कम होती थी इसलिए उन्होंने औषधीय खेती करने की सोची।
औषधीय पौधों की खेती कैसे शुरू की
इस खेती के बारे में जानने के लिए उन्होंने कृषि विभाग और कृषि विभाग और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, वहाँ उन्हें पता चला कि औषधीय पौधों की खेती में अच्छी आमदनी होने की संभावना है। जिसके बाद उन्होंने अपने 10 एकड़ के खेत में सिट्रोनेला, लेमन ग्रास, पामारोजा, मेथा और स्टीविया अपने खेत में लगाई। इन पौधों में रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जरूरत न के बराबर होती है, जिससे उन्हें ये फ़ायदा हुआ कि उनकी खेती में लगने वाले खर्चे कम हो गए। उन्होंने जैविक खेती से पौधे को उगाया।
12 लाख का सालाना टर्नओवर
पहले उन्हें जब वे पारंपरिक खेती करते थे तब केवल 32 हज़ार प्रति हेक्टेयर तक ही कमा पाते थे, जिससे उन्हें ज्यादा पैसे नहीं बच पाते थे। हालांकि वो अभी भी अपने घर के लिए अपने ज़मीन के कुछ हिस्सों में पारंपरिक अनाज उगा रहे है। पर जब से वे औषधीय पौधों की खेती कर रहे उनकी आमदनी बढ़कर 1 लाख 11 रुपय प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गया है। सबसे बढ़िया बात ये है कि इन पौधों को एक बार लगा कर तीन साल तक उत्पादन लिया जा सकता है, जिसे ये हो रहा की मेहनत और लागत कम होती जा रही। और अब उनकी सालाना आमदनी लगभग 12 लाख तक पहुंच गई है।
उनका ये कहना है की जैविक तरीके से औषधीय पौधों की खेती करना आमदनी बढ़ाने का बेहतर तरीका है।
ये भी पढ़ें – हरियाणा के ये किसान ताइवान अमरूद की वैरायटी से कमा रहे हैं 10 लाख तक, महिलाओं को दे रहे रोजगार

नमस्कार! मैं पल्लवी मिश्रा, मैं मंडी भाव से जुड़ी ताज़ा खबरें लिखती हूं। मेरी कोशिश रहती है कि किसान भाइयों को सही और काम की जानकारी मिले। ताकि आप अपनी फसल सही दाम पर बेच सकें। हर दिन के मंडी भाव जानने के लिए KhetiTalks.com से जुड़े रहिए।