Agriculture tips: धान की फसल को छू भी सकेगा कीट, ये चीज फसल के लिए बनेगी रक्षा कवच पैदावार में होगी बेशुमार वृद्धि, जानिए कैसे

On: Monday, August 18, 2025 5:24 PM
Agriculture tips: धान की फसल को छू भी सकेगा कीट, ये चीज फसल के लिए बनेगी रक्षा कवच पैदावार में होगी बेशुमार वृद्धि, जानिए कैसे

धान की फसल में अक्सर कीटों का खतरा मंडराता रहता है जिससे किसान बहुत परेशान रहते है कीट लगने फसल समय रहते कीट नियंत्रण के उपाय कर लेना चाहिए।

धान की फसल को छू भी सकेगा कीट

खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख फसल धान होती है भारत देश में किसान धान की खेती बड़े पैमाने पर करते है इसकी फसल को कीटों से बचाव के लिए रोकथाम के स्टिक उपाय करना चाहिए जिससे धान का उत्पादन जबरदस्त होता है क्योकि एकबार कीट फसल में लग जाए और समय पर ध्यान न दिया जाए तो आग की तरह पूरी फसल में कीट फेल जाते है जिससे उत्पादन में गिरावट होती है। आज हम आपको एक ऐसे कीटनाशक के बारे में बता रहे है जो धान की फसल को एक नहीं अनेकों प्रकार के कीटों से मुक्त रखता है। तो आइये जानते है कौन सा कीटनाशक है।

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ये चीज फसल का बनेगी रक्षा कवच

धान की फसल को कीटों से बचाव के लिए हम आपको कार्बोफ्यूरान कीटनाशक के बारे में बता रहे है ये एक उत्कृष्ट प्रणालीगत कीटनाशक है जिसका इस्तेमाल पत्ती लपेटक, तना छेदक, और पत्ती सुरंगक जैसे कीटों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। ये कीट पौधे के तने, पत्ती और को खा लेते है और रास चूस लेते है जिससे पौधे को काफी ज्यादा नुकसान पहुँचता है। और धान की गुणवत्ता घट जाती है। अगर आपकी धान की फसल में एक भी कीट नजर आता है या कीट लगने की संभावना है तो तुरंत कीटनाशक का छिड़काव करें। जिससे धान के बंपर उत्पादन में कोई समस्या नहीं होगी।

कैसे करें इस्तेमाल

धान की फसल को कीटों से बचाव के लिए कार्बोफ्यूरान कीटनाशक का इस्तेमाल बहुत अच्छा साबित हो सकता है इसका उपयोग करने के लिए इसे लगभग 8 से 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव किया जा सकता है आपको बता दें कार्बोफ्यूरान का उपयोग करते समय, दस्ताने, मास्क और चश्मा जैसे सुरक्षात्मक उपकरण पहनना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसका प्रभाव लंबे समय तक रहता है जिससे बार-बार स्प्रे करने की आवश्यकता कम हो जाती है। ध्यान रहे इसका उपयोग शाम के समय में उचित मात्रा में ही करें।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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