इस लेख में आप जानेंगे कि बासमती धान की खेती किस मिट्टी में करें कि अधिक उत्पादन प्राप्त हो-
बासमती धान की खेती में कमाई
बासमती धान की खेती में किसानों को मुनाफा तो होता है। लेकिन उसके लिए आपको अच्छी मिट्टी का चुनाव करना होगा, तभी अधिक उत्पादन मिलेगा। बासमती चावल की खेती में कमाई इस लिए है क्योकि बाजार में इसकी कीमत अधिक रहती है और लागत कम। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बासमती चावल की मांग है।
इसके अलावा इस खेती में कीटनाशकों का इस्तेमाल कम करना पड़ता है, जिससे लागत और कम हो जाती है। बासमती सुगंध और स्वाद से भरपूर चावल है, जिससे इसका उचित दाम मिलता है।

बासमती धान की खेती किस मिट्टी में करनी चाहिए?
अगर आप बासमती चावल की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो आप दोमट मिट्टी का चुनाव कर सकते हैं। बासमती चावल की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। क्योंकि बासमती चावल के लिए आवश्यक पोषक तत्व इसी मिट्टी से प्राप्त होते हैं। इस मिट्टी में पानी नहीं ठहरता, जो चावल की खेती के लिए अच्छी होती है। चावल की खेती के लिए पानी की जरूरत होती है, लेकिन अगर पानी लंबे समय तक रुका रहे तो इससे फसल को नुकसान पहुंचता है।
दोमट मिट्टी में रेत और नमक होता है, जिसकी वजह से पानी लंबे समय तक नहीं ठहरता। इसके अलावा दोमट मिट्टी में पानी को सुखाने की क्षमता होती है, यानी यह पानी से जुड़े दोनों काम बखूबी करती है और जड़ों को सड़ने से बचाती है। अगर किसान चावल की खेती से पैदावार बढ़ाना चाहते हैं तो दोमट मिट्टी चुनें। अगर आपके खेत की मिट्टी दोमट नहीं है तो आइए जानते हैं कि कौन सी दूसरी मिट्टी चुनी जा सकती है।
जानिए दूसरी मिट्टी के बारे में
अगर आप धान की खेती करना चाहते हैं और अच्छा उत्पादन पाना चाहते हैं लेकिन आपके खेत की मिट्टी दोमट मिट्टी नहीं है तो आपको बता दें कि आप रेतीली मिट्टी भी चुन सकते हैं। रेतीली मिट्टी भी धान की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि इसके लिए चिकनी मिट्टी या मटियार मिट्टी बेहतर मानी जाती है। दोमट मिट्टी में रेत मिली होती है। चिकनी मिट्टी में पानी को रोकने की क्षमता भी बेहतर होती है। मटियार मिट्टी भी पानी को अच्छी तरह से बरकरार रखती है, जिसे बासमती की खेती के लिए अच्छा माना जाता है।