धान की खेती में बंपर उत्पादन पाएं और ज्यादा पैसा कमाएं, बस इस खेत में लगाएं धान, जानें धान की खेती में सफलता का मंत्र

On: Sunday, May 4, 2025 2:08 PM
धान की खेती किस मिट्टी में करें

इस लेख में आपको धान की खेती के लिए सबसे बढ़िया मिट्टी कौन सी है इसकी जानकारी दी जाएगी। जिससे धान की फसल से उत्पादन अधिक मिलेगा-

धान की खेती

धान की खेती में किसानों को मुनाफा है। कई राज्यों के किसान धान की खेती कर रहे हैं। कुछ राज्यों में धान की खेती में कमी भी आ रही है, क्योंकि पानी की समस्या आ जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी मिट्टी की जानकारी देने जा रहे हैं जिसमें नमी की मात्रा लंबे समय तक बनी रहती है, तो अगर ऐसे खेत में, ऐसी जमीन में पानी की खेती करते हैं तो ज्यादा उत्पादन मिलेगा। उसमें कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो कि धान की खेती के लिए बढ़िया होते हैं, तो चलिए जानते हैं कौन सी मिट्टी में धान की खेती करनी चाहिए, इससे उत्पादन अधिक मिलेगा, धान की खेती में कमाई अधिक होगी।

धान की खेती किस मिट्टी में करें

धान की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी की बात करें तो कृषि विशेषज्ञ काली मिट्टी को सबसे अच्छी मिट्टी बताते हैं। काली मिट्टी को चेर्नोज़म के नाम से भी जाना जाता है। काली मिट्टी के अलावा किसान चिकनी मिट्टी, मटियार मिट्टी और मटियार दोमट मिट्टी में भी धान की खेती कर सकते हैं। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 4.5 के बीच हो तो उसे धान की खेती के लिए बेहतर माना जाता है।

रोपाई से पहले खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करें, पानी लगाएं और फिर खेती करें। तो आइए जानते हैं कि धान की खेती के लिए जो सबसे अच्छी मिट्टी है और इसमें खेती करने के लिए क्यों कहा जाता है।

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इस मिट्टी में धान की खेती से फायदे

अगर किसान काली मिट्टी में धान की खेती करें तो उन्हें अन्य खेतों की अपेक्षा अधिक उत्पादन मिल सकता है और पानी भी कम लगेगा क्योंकि काली मिट्टी में ज्यादा देर तक नमी बनी रहती है। जिसके कारण धान की खेती से अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं. काली मिट्टी में फास्फोरस, अमोनिया, फॉस्फोरिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसमें मैग्नीशियम, एल्युमिनियम, पोटाश और आयरन भी होता है, जिसके कारण इसे धान की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी माना जाता है.

कहा जाता है कि इसमें ह्यूमस भी अधिक होता है, इसलिए जिन फसलों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, जैसे धान। काली मिट्टी में नमी लंबे समय तक बनी रहती है, मतलब बार-बार सिंचाई नहीं करनी पड़ेगी, पानी की भी बचत होगी और पोषक तत्वों के कारण फसल भी अच्छी होगी। बता दे कि ह्यूमस एक कार्बनिक पदार्थ है, यह पौधों और जानवरों के सड़ने के बाद बनता है। यही वजह से मिट्टी में नमी बनी रहती है।

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