ब्लूबेरी एक नीले रंग का फल है जिसका स्वाद हल्का मीठा और खट्टा होता है। इसे “सुपरफूड” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
ब्लूबेरी खाने से शरीर मजबूत होता है, याददाश्त बेहतर होती है और दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। यही कारण है कि भारत और विदेशों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। आजकल लोग सेहत के प्रति ज्यादा जागरूक हो रहे हैं और यही वजह है कि किसान भी अब ब्लूबेरी की खेती की ओर ध्यान दे रहे हैं।
खेती की ज़रूरी बातें
ब्लूबेरी ठंडी और पहाड़ी जलवायु में अच्छी तरह उगती है। भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में की जा सकती है। यह फल अम्लीय मिट्टी (pH 4.5 से 5.5) में अच्छा होता है। अगर मिट्टी सामान्य है तो उसमें पाइन की पत्तियाँ, पीटमॉस या जैविक खाद मिलाकर इसे उपयुक्त बनाया जा सकता है।
ब्लूबेरी के पौधे को ज्यादा गहरी जड़ की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए इन्हें 4–5 फीट की दूरी पर लगाना सही रहता है। पानी के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छी होती है क्योंकि पौधे को लगातार नमी चाहिए, लेकिन अधिक पानी पौधे को नुकसान पहुँचा सकता है।
पौधे लगाने के 2–3 साल बाद फल देना शुरू करते हैं और लगभग 5 साल में पूरी पैदावार देने लगते हैं। एक पौधा 20–25 साल तक फल दे सकता है, इसलिए यह खेती लंबे समय तक लाभ देती है। पौधों की छंटाई समय-समय पर करना जरूरी है ताकि नए फल निकलते रहें। मिट्टी पर मल्च (सूखी पत्तियाँ या भूसा) डालना भी पौधे के लिए अच्छा होता है क्योंकि इससे नमी बनी रहती है।
उत्पादन और फायदे
ब्लूबेरी की खेती में शुरुआत में लागत ज्यादा आती है क्योंकि पौधे महंगे होते हैं और मिट्टी को तैयार करने में खर्चा होता है। लेकिन एक बार पौधा लग जाने के बाद यह सालों तक फल देता है और इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। भारत में ज्यादातर ब्लूबेरी अभी विदेशों से आती है, इसलिए बाजार में इसकी कीमत काफी ऊँची रहती है।
एक बीघा जमीन में अगर ब्लूबेरी लगाई जाए तो कुछ सालों बाद लाखों रुपये तक की कमाई हो सकती है। इसके फल ताज़ा बेचने के अलावा किसान इसे जूस, जैम, सूखे फल और मिठाई बनाने वाली कंपनियों को बेचकर भी लाभ कमा सकते हैं। ब्लूबेरी की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यह एक दीर्घकालिक निवेश है।
आधुनिक समय में महत्व
आजकल लोग ऑर्गेनिक और हेल्दी खाने पर ध्यान दे रहे हैं। ब्लूबेरी जैसे फलों की डिमांड होटलों, रेस्टोरेंट्स और बड़े सुपरमार्केट्स में लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और ई-कॉमर्स साइट्स पर भी इसकी बिक्री तेजी से हो रही है। ऐसे में अगर किसान इसकी खेती करते हैं तो उन्हें बाजार की कोई कमी नहीं होगी।
निष्कर्ष
ब्लूबेरी की खेती आसान नहीं है क्योंकि इसमें सही जलवायु, मिट्टी और देखभाल की जरूरत होती है। लेकिन अगर किसान धैर्य रखें और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करें तो यह खेती बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। शुरुआती खर्च जरूर ज्यादा है, लेकिन एक बार पौधा तैयार हो जाए तो 20–25 साल तक लगातार फल मिलता है और अच्छा मुनाफा होता है।
इसलिए कहा जा सकता है कि ब्लूबेरी की खेती भविष्य के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह न सिर्फ किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकती है बल्कि भारत को इस सुपरफूड का बड़ा उत्पादक भी बना सकती है।

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