कड़ाके की ठंड में गेहूं की निचली पत्तियां पड़ रही पीली तो आज ही अपनाए यह कारगर उपाय

भारत देश एक कृषि प्रधान देश है। यहां पर बड़े स्तर पर खेती की जाती है। ऐसे में फिलहाल हर तरफ गेहूं की बुवाई की जा चुकी है। वही कई जगह पर फिलहाल बुवाई जा रही है। अब ऐसे में गेहूं की फसलों को लेकर किसान चिंतित रहते हैं। गेहूं की फसल किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है। ऐसे में गेहूं की निचली पत्तियों में पीलापन होना किसानों के लिए चिंता की बात है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं और इनसे बचने के उपाय आपको बताते हैं।

गेहूं की निचली पत्तियों में पीलेपन की समस्या

कड़ाके की ठंड में गेहूं में यह समस्या इसीलिए देखने को मिलती है क्योंकि गेहूं की निचली पत्तियां इसीलिए पीली पड़ जाती है क्योंकि खेत में रहने वाले छोटे-छोटे सूक्ष्मजीव ज्यादा ठंड पड़ने की वजह से छुट्टियों पर चले जाते हैं। जब लगभग तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा कम हो जाता है उसे समय सूक्ष्मजीवों की क्रियाशीलता में बहुत ज्यादा कमी आ जाती है जिसकी वजह से गेहूं की पत्तियों में पीलापन देखने को मिलता है।

इतना ही नहीं आपको बता दे इन सूक्ष्मजीवों का काम यह होता है कि वह मिट्टी के अंदर घुलनशील पोषक तत्वों को घुलनशील रूप से परिवर्तित करके पौधे को उपलब्ध करवाते हैं। यह उन पोषक तत्वों को पौधे के कई हिस्सों में पहुंचने का काम करते हैं। अगर ज्यादा ठंड बढ़ जाती है तो यह काम रुक जाता है जिसकी वजह से पत्तियां पीली पड़ने लग जाती है।

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गेहूं की पत्तियां पीली पड़ने पर करें यह उपाय

सिंचाई प्रबंधन

अगर आप सिंचाई करते हैं तो इन बातों का ध्यान रखें की खेत में पानी जमा नहीं होना चाहिए। साथ ही आपको इस बात का खास ध्यान रखना है की पहली सिंचाई 20 से 25 दिनों के बाद ही करनी है जिससे की जरूरत के हिसाब से ही पौधे को पानी मिलेगा।

पोषक तत्व का समुचित प्रबंधन

आपको गेहूं की बुवाई करते वक्त इस बात का ध्यान देना है कि नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा फास्फोरस और पोटाश की पूर्ण मात्रा का इस्तेमाल करना है। इतना ही नहीं आपको दूसरी और तीसरी मात्रा क्रमशः पहली सिंचाई और दूसरी सिंचाई के समय ही देना है।

जिंक और सल्फर का इस्तेमाल

गेहूं की फसल में आपको जिंक सल्फेट और सल्फर का इस्तेमाल करना है। साथी नत्रजन एवं बाकी सूक्ष्म पोषक तत्वों का पत्तियों पर स्प्रे कर देना है। समस्या ज्यादा देखने को मिले तो आपको एक या दो प्रतिशत यूरिया का स्प्रे कर देना है। इसके साथ ही 5% मैग्नीशियम सल्फेट का स्प्रे अगर आप करते हैं तो पौधे को यह हरा-भरा बनाकर रखता है।

ठंड में पाले से बचाव कैसे करें

ठंड में पाले से बचाव करने के लिए गेहूं के खेत में धुएं का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे की तापमान बढ़ सके सिंचाई ठंड की रातों में करना चाहिए जिससे कि पाले का प्रभाव बहुत ही कम हो सके।

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जैविक बचाव

गेहूं में समस्या को खत्म करने के लिए जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, वर्मीकंपोस्ट और नीम की खली का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही रोग प्रबंधन के लिए ट्राइकोडर्मा और पीएसबी का इस्तेमाल करना चाहिए।

रोग और कीट प्रबंधन

गेहूं की फसलों में आपको रोग प्रतिरोधी किस्म का चुनाव करना चाहिए। जिसमें HD-2967, PBW-343, और WH-1105 का भी चुनाव कर सकते हैं। यह किस्में पीली रस्ट और बाकी रोगों के प्रति सहनशील है।

फफूंदनाशकों का इस्तेमाल

आपको गेहूं की फसल में फफूंदनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए। पीली रस्ट के लिए आपको प्रोपिकोनेज़ोल का स्प्रे कर देना चाहिए। इतना ही नहीं गेहूं की फसल में जड़ गलन के लिए आपको कार्बेन्डाजिम का इस्तेमाल कर लेना चाहिए इसके साथ ही बुवाई से पूर्व आपको इस बात का ध्यान रखना है कि बीजों को ट्राइकोडर्मा और कार्बेन्डाजिम से इसका उपचार कर लेना चाहिए।

फसल अवशेष प्रबंधन

गेहूं की फसल में आपको इसकी खेती करने से पूर्व खेत में पुराने फसल अवशेष को नहीं जलाना चाहिए। ऐसा करने पर खेत बंजर हो जाते हैं। आपको इस पराली को जलाने की जगह पर डीकंपोजर से सड़ा करके मिट्टी में मिला देना चाहिए। इतना ही नहीं यह मिट्टी की उर्वरकता और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।

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नमस्ते, मैं चंचल सौंधिया। मैं 2 साल से खेती-किसानी के विषय में लिख रही हूं। मैं दुनिया भर की खेती से जुड़ी हर तरह की जानकारी आप तक पहुंचाने का काम करती हूं जिससे आपको कुछ लाभ अर्जित हो सके। खेती किसानी की खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद

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