वैज्ञानिकों की इन 2 धान की किस्मो ने मचाया गर्दा, किसानों की खेती को दी नई दिशा, खेत में पानी भरा रहेगा तो भी मिलेगा जबरदस्त उत्पादन

On: Wednesday, June 4, 2025 7:00 PM
धान की नई किस्में

धान की खेती करने वाले किसान भाइयों आइये जानें धान की दो शानदार किस्मों के बारें में जिससे होगी तगड़ी कमाई, खेत में पानी रुकने से समस्या नहीं आएगी –

धान की खेती

धान की खेती ऐसी जगह पर होती है, जहां पर पानी की बढ़िया व्यवस्था है। लेकिन बहुत लम्बे समय तक पानी न रुके। जिसमें धान की खेती से अधिक कमाई करने के लिए किसानों को अच्छी किस्म लगानी चाहिए। जो उनके क्षेत्र के अनुसार भी उचित हो। बता दे कि धान की खेती को लेकर एक हम खबर मालूम हुई है जिसमें इंदिरा गांधी कृषि विद्यालय रायपुर द्वारा जबरदस्त जानकारी दी गई है, जिससे “बाहरा” जमीनों पर खेती करने वाले किसानों की चांदी हो गई है।

बाहरा जमीन का मतलब वह होता है जो बारिश के बाद भी पानी का निकासी ठीक से नहीं कर पाती है ऐसी जमीन को ही बाहरा कहा जाता है। जिसमें ऐसी जमीनों पर सामान्य किस्में अच्छा प्रदर्शन नहीं देती। जिसके चलते यहां पर धान की खेती नहीं हो पाती है। जिसके लिए अब दो नई किस्म का विकास किया गया है। तो आइये उनके बारें में जानें।

धान की नई किस्में

धान की खेती को लेकर चल रही इस समस्या का समाधान मिल चुका है। बता दे इंदिरा गांधी कृषि विद्यालय के प्लांट ब्रीडिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख वैज्ञानिक द्वारा ऐसी जमीन के लिए खास दो किस्म की जानकारी मिली है। जिनका नाम “जलडूबी” और “स्वर्णा सब-1” है। यह दो किस्में ऐसी जमीन में बहुत अच्छे से विकास कर सकती है और जल भराव की स्थिति को भी सहन कर सकती है। इन दो किस्मों को विकसित इसीलिए किया गया है ताकि पानी भरने वाली जमीन में इन्हे लगाकर किसान अच्छा उत्पादन ले सके। खेती में रूकावट ना आये।

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धान के किसान इन बातों का रखे ध्यान

धान के किसानों को फसल अच्छी लेने के लिए बुवाई से लेकर कटाई तक कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जिसमें किसानों के लिए एक्सपर्ट की तरफ से यह सलाह मिली है कि किसान अपनी जमीन के हिसाब से ही किस्म का चुनाव करके खेती करें। अगर जल भराव की स्थिति होती है तो इन दो किस्म का ही चुनाव करें। अगर इन दो किस्मो का चुनाव करते हैं तो कम से कम लागत में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन और तगड़ी आय प्राप्त कर सकेंगे। वहीं जलभराव वाली जगह पर दूसरी किस्में लगाने पर जड़ गलने लगती है। जिससे किसानों का पैसा पानी में चला जाता है।

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