किसान अपनी बंजर जमीन को दोबारा उपजाऊ बनाना चाहते है तो आप खेत में ये 2 फसलों की खेती कर सकते है ये न केवल जमीन के पोषक तत्व को बढ़ाती है बल्कि हरी खाद और हरे चारे का उत्पादन भी देती है। तो चलिए जानते है कौन सी फसलें है।
बंजर जमीन में लगाएं ये फसल
अक्सर किसान अपनी फसल में रासायनिक खाद और रासायनिक कीटनाशक का बहुत प्रयोग करते है लेकिन ये मिट्टी में की गुणवत्ता, उर्वकता और पोषक तत्वों को खत्म कर देते है जिस खेत की जमीन धीरे-धीरे बंजर हो जाती है। ऐसे में अगर किसान अपनी बंजर जमीन को उपजाऊ बनाना चाहते है तो ये फसल लगा सकते है जिससे जमीन उपजाऊ होगी साथ ही किसानों को हरी खाद और पशुओं के लिए हरा चारा भी मिलेगा जिससे किसानों को दोगुना लाभ प्राप्त होगा।
चरी की खेती
चरी एक हरे चारे वाली फसल है जो मुख्य रूप से पशुओं के लिए हरे चारे का उत्पादन देती है। इसकी खेती के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की जरूरत नहीं होती है ये आसानी से जमीन में उग जाती है। इसकी खेती करने से जमीन के पोषक तत्व बढ़ते है साथ ही पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन से भरपूर चारा मिलता है। इसकी एकबार बुवाई से कई कटाई की जा सकती है जिससे किसानों को दोहरा लाभ होता है ये मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में सहायक होती है और ये फसल सूखे की स्थिति में भी अच्छी उपज देती है। अगर किसान मिट्टी को उपजाऊ करने के साथ हरा चारा प्राप्त करना चाहते है तो चरी की खेती कर सकते है।

ढैंचा की खेती
ढैंचा की खेती मुख्य रूप से हरी खाद बनाने और जमीन को उपजाऊ करने के लिए की जाती है। ढैंचा मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाता है उसकी जल सोखने की क्षमता में सुधार करता है। इसकी खेती से किसान हरी खाद का उत्पादन लें सकते है जिससे रासायनिक खाद ख़रीदने की झंझट खत्म हो जाएगी। ढेंचा मिट्टी को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाता है। इसलिए ढैंचा की खेती साल में एकबार अपने खेत में जरूर ही करना चाहिए। इसकी खेती सितंबर के महीने में की जा सकती है बुवाई के लिए लगभग 20-25 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई से पहले खेत को जोतना चाहिए। बुवाई के बाद ढैंचा की फसल 45 से 50 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके बीज बेच कर किसान आर्थिक लाभ भी कमा सकते है अगर किसान मिट्टी को उपजाऊ करने के साथ हरी खाद प्राप्त करना चाहते है तो ढैंचा की खेती कर सकते है।


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