Agriculture tips: नीलगाय ने ‘नाक में दम’ कर रखा है तो खेत के किनारे लगा दें ये पौधा, गंध सूंघते ही उल्टे पैर भागेंगे जानवर, जाने नाम

नीलगाय से परेशान किसान खेत के चारों और ये पौधा लगा दें इसकी गंध की महक के एहसास से नीलगाय समेत कई जंगली जानवर खेत के आस पास भी नहीं भटकेंगे। तो चलिए जानते है कौन सा पौधा है।

नीलगाय से परेशान है तो खेत किनारे लगाएं ये पौधा

अक्सर किसान नीलगाय और कई जंगली जानवरों से बहुत परेशान रहते है क्योकि ये जानवर खेत में लगी फसल को चर जाते है और पैरों तले कूचल जाते है जिससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है और किसानों का बहुत नुकसान होता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बता रहे है जो नीलगाय को खेत से कोसों दूर रखने के लिए बहुत लाभकारी और उपयोगी साबित होता है इस पौधे की गंध बहुत तेज होती है जो नीलगाय और कई जानवरों को पसंद नहीं होती है जिससे जानवर खेत में नहीं घुसपाते है तो चलिए जानते है कौन सा पौधा है।

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गंध सूंघते ही उल्टे पैर भागेंगे जानवर

नीलगाय को खेत से कोसों दूर रखने के लिए आज हम आपको अश्वगंधा के पौधे के बारे में बता रहे है अश्वगंधा का पौधा एक औषधीय पौधा है इस पौधे में लगे फूल और जड़ की महक बहुत तेज होती है जो नीलगाय को बिलकुल भी पसंद नहीं होती है। इसकी महक के एहसास से ही जानवर खेत में नहीं घुसते है अश्वगंधा का पौधा फसल को सुरक्षित रखने के साथ-साथ डबल अर्निंग के लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। क्योकि इसकी जड़ों और फूलों की मार्केट में बहुत डिमांड होती है। फसल को नीलगाय से सुरक्षित रखने के लिए खेत की बॉउंड्री में अश्वगंधा का पौधा जरूर लगाना चाहिए।

अश्वगंधा की खेती

अश्वगंधा की खेती बहुत फायदेमंद मानी जाती है इसकी खेती के लिए जल निकास वाली बलुई दोमट या हल्की लाल मिट्टी अच्छी रहती है अश्वगंधा के पौधे बीज के माध्यम से लगाए जाते है। इसके पौधे पहले नर्सरी में तैयार किये जाते है फिर खेत में रोपाई की जाती है। कतार विधि में पौधे से पौधे की दूरी 5 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। रोपाई के बाद अश्वगंधा की फसल करीब 130 दिनों में तैयार हो जाती है।

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