आलू को लंबे समय तक स्टोर करना चाहते हैं, खराब होने या सड़ने से बचना चाहते हैं तो चलिए आपको इस लेख में इसका तरीका बताता है-
आलू की खेती में मुनाफा
आलू की खेती में किसानों को मुनाफा है। साल भर इसकी डिमांड हर घर में बनी रहती है। आलू से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। इसलिए आलू की मांग बनी रहती है और यह सेहत के लिए फायदेमंद भी है। लेकिन आलू के किसानों के सामने एक बड़ी चुनौती होती है उसे स्टोर करना, उसका लंबे समय तक भंडारण करना।
जिसमें कई ऐसे किसान है जिनके पास अधिक पैसा है, वह कोल्ड स्टोरेज में आलू रख देते हैं, या जिन किसानों के पास सरकारी सुविधा रहती है वह भी कोल्ड स्टोरेज बना लेते हैं या वहां पर सब्जियों को रखते हैं। लेकिन जिन किसानों के पास ना तो सरकारी सुविधाएं और ना ही उनके पास इतना पैसा है कि वह कोल्ड स्टोरेज बना पाए तो अपने घर पर ही आलू सुरक्षित रखने का जुगाड़ ढूंढते है, तो चलिए आपको बताते हैं एक ऐसा ही जुगाड़।
आलू स्टोर कैसे करें
किसानों को आलू की अच्छी कीमत मिले तभी तो उन्हें इसमें फायदा है। जिसके लिए वह लंबे समय तक स्टोर करते हैं, ताकि जब बाजार में कीमत अधिक हो। तब बढ़िया बिक्री कर दे। इसके लिए किसानों को कम से कम कर से पांच महीने के लिए आलू को स्टोर करना पड़ सकता है, तो अगर किसान चाहे तो एक जुगाड़ लगाकर 4 महीने तक आलू को स्टोर कर सकते हैं-
- वह किसान जो बड़े पैमाने पर आलू की खेती करते हैं वह भी इस जुगाड़ू तरीके से आलू को स्टोर कर सकते हैं।
- जिसके लिए उन्हें किसी छायादार जगह की तलाश करनी होगी।
- जहां पर धूप नहीं आती हो, जैसे कि पेड़ों के नीचे या फिर कोई भी छाया वाली जगह।
- वहां पर बढ़िया से आलू को फैला देना है और फिर उसके ऊपर धान का पैरा लेकर उसके छोटे-छोटे गांठे बनाकर आलू के ऊपर रखना है।
- जिससे आलू अच्छे से ढक जाएगा।
- अगर बरसात का मौसम आ रहा है तो बारिश से आलू को बचाने के लिए पॉलिथीन सीट से ढके। नहीं तो आलू सड़ सकते हैं, पानी पड़ने की वजह से।
इस तरह यहां पर किसान को कुछ ज्यादा खर्चा नहीं करना है। धान का पैरा उन्हें धान के सीजन में मिल जाएगा। बस यहां पर पॉलिथीन सीट का इस्तेमाल करना है जो की एक किसान के पास होते हैं। क्योंकि वह अपनी फसल को बचाने के लिए इस तरह की पन्नी रखते हैं। लेकिन किसानो ध्यान देना है की चूहे उस जगह पर ना हो। नहीं तो समस्या खड़ी हो सकती है। लेकिन यह जुगाड़ किसानों द्वारा अपनाया हुआ है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।