चने की खड़ी फसल में किसान ने दौड़ाया रोटावेटर, तापमान बढ़ने से बढ़ रहा उकठा रोग का खतरा, जानिए कैसे बचाएं फसल

चने की खेती करने वाले किसानों को बढ़ते तापमान से नुकसान हो रहा है, फसल में रोग फैल रहा है, तो चलिए जानते हैं इससे अपनी फसल को कैसे बचाएं-

चने की फसल में रोग

रबी सीजन में मुख्य तौर पर किसान गेहूं चना जैसी फसलों की खेती करते हैं। लेकिन फरवरी में तेजी से तापमान बढ़ रहा है, और तेज धूप निकल रही है। जिसकी वजह से फसल में रोगों का प्रभाव देखने को मिल रहा है। इस समय मुख्य तौर पर उकठा रोग दिखाई दे रहा है। जिससे किसान परेशान हो रहे हैं, और कुछ किसानों के खेत में इस रोग का खतरा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि किसान फसल बर्बाद करने को भी तैयार है।

खड़ी फसल में चलाया रोटावेटर

किसान बड़ी मेहनत से खेती करते हैं। खाद, बीज, पानी आदि पर खर्च करते हैं। लेकिन मौसम में बदलाव के कारण विभिन्न प्रकार के रोग फैलने लगते हैं। जिससे किसानों को नुकसान होता है। चने की खेती करने वाले किसानों को इस समय उकठा रोग की समस्या आ रही है।

जिसमें आपको बता दे की एक किसान है जिनका नाम है देवेंद्र यादव और यह अंजड़ के रहने वाले हैं। 3 एकड़ की जमीन में इन्होंने खेती की है। जिसमें उन्होंने बताया 15000 रुपए खर्च उन्होंने किया है। लेकिन मौसम बदलने से फसल खराब हो गई है। जिसके बाद उन्होंने खेत में रोटावेटर चला दिया है।

वहीं सीताराम पाटीदार ने भी चार एकड़ की जमीन में चने की खेती की है, और उन्हें भी समस्या देखने को मिल रही है। जिसके बाद उन्होंने अपने खेत में ट्रैक्टर चला दिया और फसल को पूरी तरह से खेत से साफ करके खरबूजा की खेती कर ली है।

क्योंकि गर्मी में खरबूजा की खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा हो जाएगा। लेकिन जो किसान अभी भी चना के खेत में इस रोग का खतरा कम देख रहे हैं, तो चलिए आपको बताते हैं कि उकठा रोग क्या है, और इससे अपनी फसल कैसे बचाएं।

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उकठा रोग से फसल कैसे बचाएं

बढ़ते तापमान के साथ फसल में उकठा रोग की समस्या आ रही है। फरवरी में ही 30 डिग्री तक तापमान पहुंच रहा है। एक वायरस है जो की फ्यूजरियम ऑक्सिस्पोरम नामक फफूंद से होता है यह मिट्टी और बीज जनित बीमारी है। अगर किसान खेत में अलग-अलग तरह की फसले बोयेंगे, फसल चक्र पर ध्यान दे तो यह रोग कम देखने को मिलेगा।

यह रोग फसल में फली लगने तक देखने को मिल जाता है। फसल की पत्तियां पीली दिखाई पड़ने लगती हैं। इसके लिए किसान उनको शुरुआत से ही ध्यान देना चाहिए। लेकिन अभी भी उपाय कर सकते हैं। नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जाने उकठा रोग से कैसे शुरुआत से ही बचा जा सकता है और अभी क्या उपाय किया जा सकता है।

  • अब आगे से किसान अगर सावधान रहना चाहते है तो जब बुआई करें तो प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करें।
  • फसल चक्र का ध्यान रखे।
  • बुआई से पहले किसानों को ट्राइकोडर्मा पाउडर डालना चाहिए। जिसमें 10 ग्राम एक किलोग्राम की दर से बीजोपचार कर सकते है।
  • इसके आलावा 4 किलो ट्राइकोड्रर्मा लेकर उसमें 100 किलो सड़ी पुरानी गोबर की खाद में मिलाएं और बुवाई से पहले एक हेक्टेयर में यह मात्रा डालें। इससे इस रोग के होने की संभावना कम हो जाएगी।
  • किसानों को खड़ी फसल में यह रोग दिख रहा है तो कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू पी 0.2% घोल का पौधों के जड़ क्षेत्र में छिड़क सकते है, जब खेत में नमी रहे तो यह उपाय करें। इससे यह समस्या कम होगी।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद 

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