गन्ने के किसानों को होगा घाटा, अगर जुलाई में इस नाशकारी रोग से फसल को नहीं बचाया, तो सब कुछ होगा तबाह, जानें समाधान

गन्ने की खेती करने वाले किसानों को जुलाई में इस रोग से फसल को बचाना पड़ता है, नहीं तो फसल पूरी तरह से खराब हो जाती है, तो चलिए इस रोग के बारे में और इसके उपचार के बारे में जाने-

जुलाई में गन्ने की फसल में रोग-बीमारी

जुलाई-अगस्त-सितंबर में बरसात होती है, जिससे गन्ने की फसल में कुछ रोग-बीमारी का प्रकोप देखने को मिलता है। जिससे किसानों को समय पर बचाव करना पड़ता है। दवाई का छिड़काव करना पड़ता है। इसीलिए समय पर किसानों को इसकी सलाह दी है, कुछ किसानों को उसकी जानकारी है, लेकिन कुछ किसान इसे नजरअंदाज कर देते है, जिससे बाद में उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। आपको बता दे की गन्ने की फसल में जुलाई से सितंबर के बीच में पोक्का बोइंग नामक एक रोग दिखाई पड़ता है तो चलिए आपको बताते हैं वह पोक्का बोइंग रोग के लक्षण क्या है।

पोक्का बोइंग की पहचान कैसे करें

गन्ने के किसानों को पोक्का बोइंग नामक रोग की जानकारी होनी चाहिए, और उसकी पहचान कैसे करें इसके बारे में भी पता होना चाहिए। जिसमें आपको बता दे कि किसान फसल की पत्तियों को देख सकते हैं, उसके ऊपर और नीचे के भाग में सिकुड़न दिखाई देगा, और वहां पर सफेद धब्बे भी होंगे। इन सब के वजह से चोटी की कोमल पत्ती मुरझा जाती है और काली हो जाती हैं। साथ ही पत्तियों के ऊपर का भाग सड़ जाता है, जो कि किसानों को साफ दिखाई देता है। बस फसल का निरीक्षण करना होता है।

जिस फसल में पोक्का बोइंग रोग होता है उसके अगोला के नीचे में देखने पर पोरियों की संख्या अधिक और छोटी दिखाई पड़ती है। इतना ही नहीं आप देखेंगे की पोरियों पर चाकू के कटे हुए निशान भी होंगे। यह फसल के लिए नुकसानदायक रोग होता है। किसानों को उत्पादन में कमी देखने को मिल सकती है। गुणवत्ता खराब हो सकती है, तो चलिए जानते हैं इसका उपचार क्या है, समाधान क्या है, कौन सी दवाई छिड़कना है।

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पोक्का बोइंग रोग से फसल को कैसे बचाएं

पोक्का बोइंग रोग से फसल को बचाना चाहते हैं तो इसके लिए कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि फफूंद नाशक का छिड़काव करें। एक्सपर्ट बताते हैं कि पोक्का बोइंग मौसम में नमी और गर्मी से अधिक फैलता है। जिसके लिए किसानों को शुरुआत में ही बीज उपचार करना चाहिए और जलभराव वाली मिट्टी में भी पोक्का बोइंग रोग फैलता है, इसलिए इसका भी ध्यान रखना चाहिए। फंगीसाइड की बात करें तो इसमें कार्बेन्डाजिम 50 WP का 0.1 प्रतिशत, 400 ग्राम फफूंद नाशी का इस्तेमाल कर सकते है, जिसमें 400 लीटर पानी मिलाना होता है।

यह मात्रा एक एकड़ की दर से बताई गई है। इसके आलावा किसान भाई कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50 WP के 0.2 प्रतिशत, 800 ग्राम फफूंद नाशी भी डाल सकते है। इसमें भी 400 लीटर पानी मिलाकर एक एकड़ में छिड़क सकते है। जिसे 15 दिन में दो बार छिड़क सकते हैं। इससे इस रोग से छुटकारा मिलेगा।

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