इस लेख में गन्ना किसानों को काला चिकटा कीट के लक्षण और उपाय बताए गए हैं, साथ ही हम यह भी जानेंगे कि कीट होने पर भी किन किसानों को दवा नहीं डालनी चाहिए-
गन्ने की खेती
गन्ने की खेती में किसानों को मुनाफा होता है, गन्ने की खेती सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के किसान करते हैं, साथ ही सरकार भी गन्ने की खेती को बढ़ावा देती है, लेकिन अगर गन्ने की फसल पर कोई कीट रोग लग जाए तो किसानों को नुकसान हो सकता है, गन्ने की फसल बर्बाद हो सकती है, अच्छे दाम न मिलने से किसान घाटे में चले जाएंगे।
लेकिन किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है, हम समय-समय पर जानकारी लेकर आते हैं, जिसमें हम आपको बताते हैं कि इस समय गन्ने की फसल में काला चिकटा कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है, जिससे कई गन्ना किसान भी परेशान हैं, इसलिए आपको समय-समय पर फसल का निरीक्षण करके देखना चाहिए कि कहीं खेतों में काला धब्बा रोग तो नहीं है।
अगर ऐसा कुछ है तो बता दें कि इससे गन्ने की फसल की ग्रोथ रुक जाती है, पत्तियों में छेद भी होने लगते हैं, तो चलिए जानते हैं काला चितकबरा रोग की पहचान कैसे करें।

काला चिकटा कीट की पहचान
काला चिकटा कीट को ब्लैक बग भी कहते हैं। इसकी पहचान के लिए आप गन्ने की पत्तियों पर ध्यान दे सकते हैं। अगर पत्तियों का रंग पीला है, उस पर भूरे रंग के धब्बे हैं, पत्तियों में कीड़े दिखाई दे रहे हैं जो फसल को चूसते हैं और पत्तियों में छेंद करते हैं, तो ये सब काला चितकबरा कीट के लक्षण हो सकते हैं।
काला चिकटा कीट से गन्ने की फसल को कैसे बचाएं
जिन किसानों को अपने खेतों में काला चिकटा कीट यानी ब्लैक बग रोग दिखाई दे रहा है, तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें समय रहते इस पर नियंत्रण करना होगा, जिसके लिए कई उपाय करने चाहिए। सबसे पहले आपको बता दें कि जब गन्ने की कटाई हो जाए, तो खेत की अच्छी तरह से सफाई कर लेनी चाहिए ताकि किसी भी तरह का कीट रोग दूसरी फसल में न जाए। इसके बाद सिंचाई के समय भी इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।
साथ ही आपको बता दें कि अगर पानी सर से ऊपर चला गया है यानि कीड़ों का आतंक बहुत ज्यादा है, अगर फसल को बचाना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में रासायनिक उपाय किए जा सकते हैं।
कुछ कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जिन खेतों में ब्लैक बग का प्रकोप दिख रहा है लेकिन पाइरेला का प्रकोप ज्यादा है और जैव परजीवी ज्यादा हैं तो ऐसी स्थिति में रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. फसल अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन सिर्फ ब्लैक बग बीमारी है और कोई जैव परजीवी नहीं है तो ऐसी स्थिति में किसानों को रासायनिक दवा का इस्तेमाल करना चाहिए।
जिसके लिए ये दवाइयां उपलब्ध हैं और मात्रा भी यहां दी गई है. फसल पर दिए गए निर्देशों के अनुसार छिड़काव कर सकते हैं. जिसमें एक हेक्टेयर के अनुसार प्रोफेनोफॉस 40 प्रतिशत व साइपरमेंथरिन 4% ई.सी. 750 मिली, इमिडक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. दर 200 मिली या क्वीनालफॉस 25% ई.सी. दर 825 मिली या फिर किसान भाई क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 800 मिली 625 लीटर पानी में घोलकर डाल सकते है। इससे फायदा हो सकता है।
लेकिन सबसे अच्छी बात यह होगी कि अगर आपके आस-पास कोई कृषि विभाग है तो कृषि अधिकारी से संपर्क करें और उन्हें अपनी फसल की तस्वीर दिखाएं ताकि वह आपको इस बीमारी के बारे में उचित सलाह दे सकें.
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