शतावरी की खेती में है अथाह पैसा, जानिए शतावरी का पौधा कहाँ मिलेगा, शतावरी की प्रसिद्ध किस्में और खर्चे से मुनाफे तक पूरी जानकारी

On: Wednesday, August 20, 2025 4:00 PM
शतावरी की खेती कैसे करें

शतावरी की खेती औषधीय गुणों के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही है। जानिए इसकी किस्में, खेती का तरीका, समय, सिंचाई, खर्चा और मुनाफे की पूरी जानकारी।

शतावरी की खेती में फायदा

शतावरी की खेती किसान कैसे करें, यह जानने से पहले हम जान लेते हैं कि इसकी खेती में फायदा क्या है। यह एक लाभदायक व्यवसाय है। शतावरी में औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिसकी वजह से इसकी मांग समय के साथ बढ़ रही है। शतावरी की जड़ों की बिक्री करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। पारंपरिक फसलों की तुलना में इसमें लाखों की कमाई प्रति एकड़ की जा सकती है। इसमें मेहनत और खर्च कम होता है, जबकि मुनाफा लगभग 10 गुना तक होता है।

शतावरी की खेती कैसे करें

शतावरी की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी होती है, जहाँ जल निकासी की बढ़िया व्यवस्था हो और खेत में पानी न रुकता हो। हल्की उपजाऊ मिट्टी से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। इसका पीएच मान 6.5 से 7.5 होना उपयुक्त है।

शतावरी की खेती बीज लगाकर या पौधों की रोपाई करके की जा सकती है। बीज से पौधे 8 से 10 सप्ताह में तैयार हो जाते हैं। एक पौधा तैयार होने पर उससे हजारों बीज निकलते हैं, जिससे आगे बीज खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

शतावरी को पंक्तियों में लगाएँ। दो पंक्तियों के बीच 3 से 4 फीट की दूरी और पौधों को 2 इंच की गहराई पर लगाएँ। बीच-बीच में खरपतवार निकालते रहें। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम युक्त खाद देने से अच्छा उत्पादन मिलता है।

शतावरी की खेती का समय

शतावरी की खेती किसान साल में दो बार कर सकते हैं। इसका समय मार्च से मई और जुलाई से नवंबर तक होता है। अगस्त में भी इसकी खेती की जा सकती है। जब पौधे 15 से 25 सेंटीमीटर तक बढ़ जाते हैं, तो उन्हें खेतों में लगा देना चाहिए।

शतावरी की प्रसिद्ध किस्में

शतावरी की कई किस्में प्रसिद्ध हैं जैसे – जर्सी जयंट, जर्सी नाइट, अपोलो, UC 157, जर्सी सुप्रीम, पर्पल पैशन, एटलस, वाइकिंग और KBC। इनमें जर्सी जॉइंट एक कठोर पौधा है, जो ठंडी जलवायु में बढ़िया पैदावार देता है।

शतावरी की सिंचाई

शतावरी के पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन व्यावसायिक खेती में समय पर सिंचाई जरूरी है। जिसमें पौधा लगाने के पाद शुरू के 2 साल में 1 से 2 सप्ताह के अंतराल पर 1 से 2 इंच पानी दें। ड्रिप सिंचाई पद्धति सबसे बेहतर है, क्योंकि इससे पानी सीधे जड़ों तक पहुँचता है और बर्बादी भी नहीं होती।

पौधा लगाने के बाद 2 महीने तक नियमित पानी दें और मिट्टी में नमी बनाए रखें। गर्मियों में हर सप्ताह सिंचाई करें, जबकि सर्दियों में कम आवश्यकता होती है।

शतावरी का पौधा कैसा होता है

शतावरी एक बेलनुमा पौधा है, जिसकी बेल 1 से 2 मीटर तक लंबी हो सकती है। इसके पत्ते फर्न जैसे दिखाई देते हैं। छोटे गोल फूल आते हैं जो लाल रंग के होते हैं और बाद में बीज बन जाते हैं। इसे लोग सजावटी पौधे के रूप में भी लगाते हैं।

शतावरी का पौधा कहाँ मिलेगा

शतावरी का बीज या पौधा ऑनलाइन अमेज़न या अन्य एग्रीकल्चर स्टोर से खरीदा जा सकता है। आजकल कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म खाद, बीज और पौधे उपलब्ध करवाते हैं।

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शतावरी की खेती में कमाई

शतावरी की खेती में अच्छा मुनाफा होता है। 1 एकड़ से 6 से 10 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है। हालांकि, किसानों को धैर्य रखना जरूरी है क्योंकि फसल 18 महीने से लेकर 2–3 साल में तैयार होती है। बीज लगाने के 45 दिन बाद पौधे तैयार हो जाते हैं और लगभग 18 महीने बाद कटाई शुरू होती है। 1 एकड़ से 20 से 30 क्विंटल जड़ें मिल सकती हैं। खास बात यह है कि एक बार खेती करने के बाद बीज आदि का खर्चा कम हो जाता है।

शतावरी की खेती में खर्चा

शतावरी की खेती का खर्चा किसानों की सुविधा पर निर्भर करता है। अगर पानी की व्यवस्था, उपजाऊ मिट्टी और ट्रैक्टर जैसे कृषि यंत्र पहले से हैं, तो खर्च कम होगा। सामान्य रूप से 1 एकड़ में 20,000 से 70,000 रुपये तक खर्च आता है।

जिन किसानों के पास साधन नहीं होते, उन्हें मजदूरी, सिंचाई और यंत्र किराए पर लेने पड़ते हैं। ऐसे में खर्चा 80,000 से 1 लाख रुपये तक पहुँच सकता है। लेकिन मुनाफा हमेशा 4 लाख रुपये से ऊपर ही रहता है और कभी-कभी 10 लाख रुपये तक भी पहुँच सकता है।

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