गेहूं की खेती से किसान अगर ज्यादा उत्पादन लेकर मालामाल होना चाहते हैं, तो उनके लिए यहां पर 5 उन्नत किस्में बताई जा रही हैं।
गेहूं की ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्में
- गेहूं की DBW 327 वैरायटी- यह एक बहुत अच्छी वैरायटी है, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा उत्पादन देने के लिए प्रसिद्ध है। यह अगर सही तापमान पर लगाई जाए और इसमें डेढ़ गुना खाद डाली जाए, तो 50 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन लिया जा सकता है। इस वैरायटी का विकास भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा किया गया है।
- गेहूं की WH 1270 वैरायटी- यह वैरायटी भी काफी अच्छी है। अगर इसमें अन्य वैरायटी की तुलना में थोड़ी ज्यादा खाद दी जाए, तो 80 से 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन लिया जा सकता है। इसे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित किया है। यह एक रोग-प्रतिरोधी किस्म है।
- DBW 303 गेहूं की वैरायटी- यह गेहूं की ज्यादा उत्पादन देने वाली वैरायटी है। इसमें प्रोटीन की मात्रा उच्च होती है। यह करनाल बंट और पीला रतुआ रोग के प्रति अत्यंत प्रतिरोधी है। यह ज्यादा तापमान सहन कर सकती है और लगभग 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है। पिछले 2-3 सालों से किसानों के बीच इसका प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है।
उत्पादन की जानकारी इसे विकसित करने वाले वैज्ञानिकों ने दिए और उन्होंने कहा कि खाद अधिक देना पड़ेगा तभी एक किसानों को इतना उत्पादन मिल सकता।

- श्रीराम 5 (SR-05)- यह भी एक बेहतरीन वैरायटी है। इसे एक निजी कंपनी ने विकसित किया है, जो गेहूं के बीज बनाने वाली कंपनियों में सबसे प्रसिद्ध है। यह किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है और अच्छा-खासा उत्पादन देती है।
- श्रीराम सुपर 330 गेहूं की वैरायटी- यह वैरायटी भी ज्यादा उत्पादन देने वाली है। अधिक उत्पादन के साथ यह रोगों के प्रति प्रतिरोधी है और विपरीत मौसम का सामना करने में सक्षम है। एमपी, यूपी, बिहार, राजस्थान और गुजरात के किसान इसकी खेती करके अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। यह किस्म 125-130 दिनों में पक जाती है और भूरा रतुआ जैसे रोगों के प्रति भी प्रतिरोधी है।
बीज की मात्रा और खाद की जरूरत
बीज की मात्रा की बात करें, तो प्रति एकड़ करीब 40 किलो बीज की जरूरत होती है। हालांकि, जिन शर्तों की यहां बात की गई है, उनमें किसानों को इन वैरायटी में थोड़ी ज्यादा खाद देनी पड़ेगी। जितनी खाद आप पुरानी वैरायटी में डालते आ रहे हैं, उनसे ज्यादा इन नई किस्मों में खाद की जरूरत होती है। लेकिन अच्छा रहेगा कि आप खेत की मिट्टी की जांच जरूर करवा लें और मिट्टी की जरूरत के अनुसार ही खाद दें। इससे उत्पादन और भी बेहतर होगा।

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