आज हम बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र के हथीरा गांव के सुरेंद्र सिंह ढिल्लों जी की, जो ताइवान की गुलाबी अमरुद की खेती से कमा रहे हैं लाखों। चलिए उनकी सफलता की पूरी कहानी जानते हैं।
ताइवान अमरूद की खेती का आईडिया कहां से आया
सुरेंद्र जी ने यूट्यूब पर इस अमरुद की खेती करने की तरकीब देखी। फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न इस नए किस्म की अमरुद की खेती की जाए। ये ताइवान पिंक अमरुद भारत के मार्केट में नई थी, जिससे यह तो पता था कि इसका मार्केट में ज्यादा मांग रहेगी। इस अमरुद को उन्होंने आंध्र प्रदेश से मंगवाया और फिर एक एकड़ जमीन पर खेती सुरु की। वे अपने खेत में प्राकृतिक खेती करते हैं। खाद के रूप में गोबर का इस्तेमाल करते हैं और मक्खियों से बचने के लिए फ्लाई ट्रैप लगाया है।
सरकार ने किया सहायता
जब उन्होंने ताइवान पिंक अमरुद लगाया था तो कृषि विभाग से उन्हें 9000 रु प्रति एकड़ की सहायता मिली थी जो की अब बढ़कर 43000 रु प्रति एकड़ हो गई है, और मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत भी उन्हें 75000 रु मिलते हैं। ऐसे बहुत सी सहायता सरकार ने किसानों के लिए बना रखा है बस जरुरत ये होता है की कोई भी किसान जब कोई खेती की शुरुआत करे तो पूरी जानकारी इकट्ठा करे पूरी रिसर्च और एक्सपर्ट के सलाह के साथ नए फसलों की खेती करे, जिससे आमदनी दोगुनी होने का पूरा उम्मीद रहता है।
10 लाख रुपये की सालाना कमाई
सुरेंद्र जी ने एक एकड़ में 2000 पौधे लगाए। इस गुलाबी अमरुद की ये खासियत है कि यह कुछ महीनों में ही फसल देना शुरू कर देती है और आमदनी भी शुरू हो जाती है। इस अमरुद के एक पौधे से हर साल लगभग 50 किलो की फसल होती है और बाजार में इसकी कीमत 50 रूपए किलो है। यानी एक एकड़ से 8 से 10 लाख रुपये की सालाना कमाई हो जाती है।
वे महिलाओं को भी अपने खेत में काम दे रहे हैं। वहां महिलाएं निराई, खुदाई, फल तोड़ने का और पैकिंग करने का काम करती हैं, जिससे वे अच्छी कमाई कर रही हैं।
उनकी यह सफलता दर्शाती है कि नई खोज और मार्केट की अच्छी रिसर्च खेती में बंपर कमाई दिला सकती है।
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