गुजरात  के किसान ने जॉब छोड़कर शुरू की मशरूम की खेती, सालाना 10 लाख तक का टर्नओवर 

On: Tuesday, October 21, 2025 1:39 PM
MUSHROOM FARMER SUCCESS STORY

आज हम बात करेंगे गुजरात के जतिनभाई सोलंकी जी की जिन्होंने जॉब छोड़कर मशरूम की खेती करने का फैसला लिया और आज उनकी इस फैसले की वजह से वे 10 लाख रूपए सालाना कमा रहे हैं। 

जतिनभाई सोलंकी का परिचय 

जतिनभाई सोलंकी गुजरात के जूनागढ़ जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने एम. एससी। तक की पढाई की है, जिसके बाद उन्होंने कॉर्पोरेट जॉब भी किया है। उनके पिता किसान हैं। जीतनभाई का भी मन हमेशा खेती की ओर ही जाता रहता था, जिसकी वजह से उन्होंने जॉब छोड़कर खेती में आने का सोचा। उन्होंने अपनी जॉब छोड़कर खेती की ओर अपना रुख लिया।

ICAR से प्रशिक्षण लेकर खेती की शुरुआत की 

उन्होंने खेती की शुरुआत में बहुत सारी रिसर्च की,  जिसके बाद उन्होंने मशरूम की खेती करने का मन बनाया। इसकी खेती में आमदनी तो होती है पर मेहनत भी बहुत करनी पड़ती है। मशरूम की खेती में तापमान और नमी का बहुत ध्यान देना होता है। 

जितनभाई ने मशरुम की खेती शुरु करने से पहले ICAR संस्थान से 3 महीने का प्रशिक्षण लिया। यहाँ से प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने सूरत कृषि विज्ञान केंद्र से भी प्रशिक्षण लिया। ट्रेनिंग के बावजूद उन्होंने दूसरे शहरो के मशरूम उत्पादन राज्य गए। वहाँ के किसानों से मिले और उनसे मशरूम की खेती के बारे में सीखा।  

पूरी तरह से माहिर होकर उन्होंने अपने फार्म की 5 बीघा जमीन पर मशरूम की खेती की शुरुआत की। खेती की शुरुआत में उन्होंने 500 बैग लगाए, जिसके बाद उन्होंने हरएक साल वो बैग बढ़ाते चले गए। उनके मशरूम के बैग बढ़कर अभी 5400 लगभग हो गए हैं। उनके फार्म से लगभग 20 हज़ार मशरूम निकल जाते हैं। 

अनुदान से मिली सहायता जिससे इतने तरह के मशरूम ऊगा रहे हैं

उन्हें मशरूम की खेती में सरकार की बहुत सारी योजनाओं का फ़ायदा मिला। मशरुम की खेती में जिन-जिन चीजों की जरुरत होती है जैसे शेड लगाने, बीज के लिए, कम्पोस्ट, तिरपाल इन सब चीजों के लिए उन्होंने योजनाओं का लाभ उठाया। आर्थिक मदद से उनका हौसला बढ़ा और उन्होंने मशरुम की बहुत सारी किस्मों की खेती शुरू कर दी। 

उनके फार्म में वो फ्लोरिडा, ब्लू, ग्रे, व्हाइट और ऑयस्टर इतनी सारी मशरूम की किस्मों की खेती होती है। उनके शहर जूनागढ़ में इतने सारे मशरुम की किस्म की खेती सिर्फ वही करते हैं। वे मशरूम को सुखाकर ग्रेडिंग के बाद बाजार में बेचते हैं। इन सबकी कीमत 1200 रूपए प्रति किलो तक रहती है। 

तीन साल लगातार मेहनत करने के बाद अब उनका सालाना टर्नओवर 10 लाख तक पहुँच गया है। उन्होंने जॉब छोड़कर खेती में आने के फैसले को सही साबित करके दिखाया है। इनकी यह सफलता उनकी लगन और मेहनत का फल है। 

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