अक्टूबर महीने में उगाएं ये अधिक मुनाफा देने वाली सब्जी, 60 दिन में हो जाती है तुड़ाई के लिए तैयार, जाने खेती करने का तरीका।
अक्टूबर महीने में उगाएं ये सब्जी
ये सब्जी की खेती बहुत अधिक मुनाफा देने वाली होती है इस सब्जी की खेती में ज्यादा लागत नहीं आती है और कम दिनों में पूरी भी हो जाती है। इस सब्जी की डिमांड बाजार में बहुत अधिक मात्रा में होती है इस सब्जी को लोग खाना बहुत ज्यादा पसंद करते है जो किसान पहली बार खेती के अंदर आ रहे है जो पहली बार सब्जी की फसल अपने खेत के अंदर लगाने जा रहे है और खेती का बिलकुल भी एक्सपीरियंस नहीं है उनके लिए ये सब्जी की फसल बहुत ज्यादा फायदेमंद है क्योकि ये सब्जी की खेती कम मेहनत, कम लागत और कम समय में पूरी हो जाती है। हम बात कर रहे है चप्पन टिंडे की खेती की चप्पन टिंडे की खेती बहुत लाभकारी होती है तो चलिए जानते है चप्पन टिंडे की खेती कैसे की जाती है।
कैसे करें खेती
अगर आप इस सब्जी की खेती करना चाहते है तो आपको इसकी खेती के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जिससे आपको इस सब्जी की खेती करने में कोई दिक्कत या परेशानी नहीं होगी। चप्पन टिंडे की बुवाई के लिए अक्टूबर का महीना बहुत अच्छा होता है। एक एकड़ जमीन में इसकी खेती के लिए 1.5 से 2 किलो बीज पर्याप्त होते है इसके बीज बोन से एक दिन पहले बीजों को पानी में डुबोकर रख देना चाहिए जिससे बीज अंकुरित जल्दी होते है। इसकी खेती के लिए रेतली दोमट से दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी तैयार करने के बाद 1-2 इंच की गहराई में बीज बोएं और ऊपर से मिट्टी डालकर पानी की हल्की सिंचाई कर देना चाहिए। चप्पन टिंडे की फसल 60 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।
कितनी होगी कमाई
अगर आप इस सब्जी की खेती करते है तो आपको इसकी खेती से बहुत अच्छी कमाई होगी। क्योकि इस सब्जी की बाजार में बहुत डिमाडं होती है जिससे इसकी बिक्री बहुत अधिक मात्रा में होती है। एक एकड़ में इस सब्जी की खेती से करीब 2-3 क्विंटल तक की पैदावार मिल सकती है। आप इस सब्जी की खेती से करीब 1 से 1.5 लाख रूपए की कमाई कर सकते है।
कितनी आएगी लागत
अगर आप इस सब्जी की खेती करते है तो आपको इसकी खेती में ज्यादा लागत नहीं आएगी। एक एकड़ में चप्पन टिंडे की खेती करने के लिए करीब 20 हजार रूपए की लागत आ सकती है क्योकि इसकी खेती में कुछ चीजों का खर्चा होता है जैसे…
- बीज का खर्चा
- खाद का खर्चा
- सिंचाई का खर्चा
- मजदूरों की मजदूरी का खर्चा