हरे चारे की किल्लत को कहें अलविदा, मई-जून में करें इन फसलों की बुवाई, पशुओं के लिए घर पर रहेगा पोषण युक्त चारा

इस लेख में हम जानेंगे कि पशुपालको को गर्मियों पशुओं के लिए कौन-से हरे चारे की कैसे खेती करनी चाहिए, जिससे पशुओं का स्वास्थ सही रहे-

पशुओं के लिए हरा चारा

भारत देश में पशुपालन आज के समय में बहुत बड़ी मात्रा में किया जाता है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या चारे को लेकर देखने को मिलती है। खास कर गर्मियों के दिनों में पशुपालकों की सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है कि उन्हें पशुओं के लिए हरे चारे की किल्लत का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई ऐसी फसले है जिनको किसान पोषण युक्त चारे के रूप में पशुओं को खिला सकते हैं।

जिसमें बाजार के साथ ज्वार और मक्का शामिल है। इसको आप मई और जून के महीने में बो सकते हैं लेकिन आपको इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि इसमें सिंचाई की कोई कमी ना हो। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते है।

फसलों का मिश्रण बनाता है चारे को पौष्टिक

पशुपालक अगर इन हरे चारे के लिए फसलों को एक साथ मिश्रित खेती के रूप में बोते हैं जिसमें बाजरा और ज्वार के साथ मक्का शामिल हो। तब ऐसे में यह चारा बहुत पौष्टिक रूप से तैयार होता है और पैदावार भी ज्यादा मिलती है। इन फसलों को आप मई के महीने में बो सकते हैं। यह पशुओं के लिए बहुत ही पौष्टिक चारा साबित होता है।

चारें की सही किस्माे का करें चुनाव

अगर आप इन फसलों को बोना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले इस बात का खास ध्यान देना होगा कि बाजरा की फसल बोते हैं तो उसके लिए सही किस्म पीसीबी 141 किस्म, मक्चरी टीएल-1 किस्म, नेपियर बाजरा संकर का चुनाव करना होगा। लेकिन वही अगर आप ज्वार की बुवाई करते हैं तो इसके लिए सही किस्म जे.एम.20, एच.सी.136 सही रहेगी।

वहीं किसान भाई मक्के की सही किस्म की बात करे तो इसके लिए आपको किस्में-जे.1006, प्रभात, प्रताप, केसरी और मेघा का चयन करना होगा। इस प्रकार आप इन किस्म का चुनाव करते हैं तो आपको उत्पादन भी अच्छा मिलेगा और पौष्टिक चारा मिलेगा।

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कटाई का सही तरीका और बीजोपचार

फसल अच्छी हो इसके लिए बीज बोने से पहले बीज उपचार करना बेहद जरूरी है। साथ ही खेत तैयारी बढ़िया से करें। खेत में जलनिकासी की बढ़िया व्यवस्था हो। मिट्टी को उपजाऊ बनायें और फिर बुवाई करें।

इस चारे की बुवाई के बाद में आपको इस बात का ध्यान रखना है कि अगर चरी की खेती की है तो 30 किलोग्राम नाइट्रोजन या 65 किलोग्राम यूरिया और मक्का में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन या फिर इसके जगह पर 87 किलोग्राम यूरिया से बुवाई के 30 दिनों बाद टॉप ड्रेसिंग बहुत जरूरी होती है। इतना ही नहीं हर कटाई के बाद में आप अच्छी बढ़वार के लिए बची हुई नाइट्रोजन बराबर मात्रा में उपयोग करते हैं तो इससे बढ़वार भी अच्छी होगी और कटाई भी समय-समय पर होती रहेगी।

इसके साथ ही पानी का ध्यान रखे हर कटाई के बाद में सिंचाई करना ना भूले। नहीं तो विकास रुक सकता है। सिंचाई करने से कुछ समय बाद फिर से कटाई के लिए फसल तैयार हो जायेगी।

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नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद 

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