मत्स्य पालन विभाग में मछली पालकों के लिए कई तरह की सब्सिडी चलाई जा रही है, तो चलिए आपको बताते हैं इनके बारे में-
मछली पालकों के लिए सरकारी योजनाएं
मछली पालन करके भी अच्छी आमदनी ली जा सकती है। कई लोगों के पास तालाब की सुविधा है, तो कुछ लोग टैंक बनवाकर मछली पालन कर रहे हैं। इसमें सरकार भी मछली पालन में मदद कर रही है और विभिन्न प्रकार की योजनाओं के जरिए कई तरह से सहायता दे रही है।
मछली पालन के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उन पर सब्सिडी देकर आर्थिक सहयोग किया जा रहा है तथा मछली पालन के काम को आसान बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत कई तरह के फायदे दिए जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।
मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना
मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालकों को 40% तक अनुदान मिल रहा है। इस योजना का लक्ष्य है कि आने वाले 5 सालों में 500 मछली बीज बैंक की स्थापना की जाए, जिसमें हर साल 100 मछली बीज बैंक बनेंगे।
इस योजना का फायदा केवल पट्टाधारकों को मिलेगा। जिन मछली पालन करने वालों के तालाब का पट्टा है और वे उत्तर प्रदेश के निवासी हैं, वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
इन तीन चीजों के लिए मिल रहे ₹40,000
मछली पालन के लिए नाव, जाल और मछली पकड़ने वाले उपकरण की जरूरत पड़ती है। इसके लिए भी सरकार मदद कर रही है। अगर आपके पास बढ़िया मछली पकड़ने का साधन नहीं है, तो सरकार से सब्सिडी लेकर खरीद सकते हैं।
निषाद राज बोर्ड सब्सिडी योजना के तहत मछुआरों को नाव खरीदने के लिए 40% सब्सिडी दी जा रही है, जो लगभग ₹40,000 के बराबर है। लेकिन इसके लिए मछुआरे के पास 0.4 हेक्टेयर या इससे ज्यादा का तालाब पट्टे पर होना चाहिए।
अगर पहले से मछली पालन कर रहे हैं, तो इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। निषाद राज बोर्ड सब्सिडी योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक लाभकारी योजना है, जिससे मछली पालकों को बहुत फायदा होगा।
कैसे उठाएं योजना का फायदा
मछली पालन करने वालों को जल्दी करनी होगी, क्योंकि इस योजना के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 14 अगस्त है। इच्छुक व्यक्ति इस वेबसाइट https://www.fisheries.up.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकते हैं।
इसके अलावा, आपको बता दें कि सघन मत्स्य पालन के लिए एरेशन सिस्टम, मछली बिक्री के लिए मोपेड विद आइस बॉक्स परियोजना इत्यादि योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। इससे मछली पकड़ने के साथ-साथ उसकी बिक्री करने में भी आसानी होगी तथा मछली लंबे समय तक ताजा रहेगी।