खेती अगर मशीन लगाकर करना चाहते हैं तो चलिए आपको बताते हैं सरकार की तरफ से इसके लिए मिलने वाले अनुदान और मल्चिंग के फायदे के बारे में-
मल्चिंग लगाने के फायदे
मल्चिंग वह है जिसमें जमीन की सतह को किसी जैविक या अकार्बनिक सामग्री से ढका जाता है। जिसमें प्लास्टिक मल्च बाजार में मिलती है। यह किसानों को महंगी ना पड़े इसलिए सरकार सब्सिडी दे रही है, तो चलिए आपको बताते हैं मल्चिंग के फायदे क्या है और इस पर मिलने वाली सब्सिडी के बारे में भी आगे जानेंगे।
मल्चिंग लगाकर खेती करेंगे तो मिट्टी में नमी बनी रहेगी। कम पानी में खेती की जा सकती है। मल्चिंग से खरपतवारों की समस्या कहीं हद तक कम हो जाती है। इसलिए मजदूरों से बार-बार खरपतवार नहीं निकालना पड़ेगा। क्योंकि खरपतवार उगती ही नहीं है, जमीन ढकी हुई रहती है। मिट्टी में तापमान को इससे नियंत्रित किया जा सकता हैं। इससे तेज धूप, बारिश, आदि से मिट्टी को बचाया जा सकता है। मल्चिंग से मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

मल्चिंग पर सब्सिडी
खेती के काम को आसान करने तथा उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई तरह की नई तकनीकी आ गई है। जैसे कि मल्चिंग ही हो गई। लेकिन बाजार में मिलने वाली प्लास्टिक मल्च खरीदने के लिए किसानों को पैसे खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन अगर बिना प्लास्टिक मल्च के भी खेती किसान करेंगे तो भी खरपतवार निकालना, मिट्टी को उपजाऊ बनाना, तथा मिट्टी कटाव से बचाना कई तरह से दिमाग लगाना पड़ता है, और पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं। वहीं अगर प्लास्टिक मल्च पर खर्च कर देते हैं तो किसानों की खेती आसान हो जाती है।
जिसमें बिहार सरकार किसानों को मल्चिंग लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, और आर्थिक मदद भी दे रही है। प्लास्टिक मल्च पर बिहार सरकार की संरक्षित खेती योजना की तरफ से 50% की सब्सिडी दी जा रही है। जिसमें एक हेक्टेयर में लागत 32000 की आ रही तो सरकार ₹16000 प्रति हेक्टेयर सब्सिडी दे रही है।
कहां से करें आवेदन
बिहार के किसान अगर मल्चिंग लगाने के लिए इच्छुक है, उसके फायदे से खुश है, तो ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना का नाम ‘संरक्षित खेती योजना’ है। यहां पर आधिकारिक वेबसाइट https://horticulture.bihar.gov.in/ की लिंक भी दी गई है। आवेदन फॉर्म भरकर जमा कर सकते हैं।