बिना खर्चे की सेहतमंद खेती, महिला किसान ने रची क्रांति, 1000+ महिलाओं को सिखाया सफल खेती का मंत्र, प्रधानमंत्री ने की सराहना। जीरो से शुरुआत अब लाखों के पार हो रही कमाई। प्राकृतिक खेती खुद की बदली जिंदगी अब दूसरों को राह दिखा रहीं। 500 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर है प्राकृतिक खेती से जोड़ दिया। मुख्यमंत्री कर चुके हैं सम्मानित प्रधानमंत्री कर चुके सराहना।
महिला किसान सुमन
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सेवापुरी की महिला किसान सुमन ने प्राकृतिक खेती की बदौलत खुद को साबित करके दिखाया। इन्होने तीन साल में 500 महिला किसानों को प्राकृतिक खेती प्रक्की रह दिखाई| जीरो से शुरुआत करने वाली सुमन की आमदनी अब लाखों पार हो गई है | इनका मानना है की आने वाले समय में प्राकृतिक खेती अपनाकर ही जीवन बचा सकते हैं |
सुमन ने बताया कि खेती हम लोगो का खानदानी है | लेकिन कुछ सालो से खेती में रासायनिक खाद अधिक उपयोग होने लगा | इससे सेहत पर असर पढ़ने लगा| लोगो की सेहत बचाने के लिए प्राकृतिक खेती अपनाया |

महिलाएं बेहतर कर सकती हैं खेती
सुमन का मानना है कि खेती का काम महिलाएं बेहतर तरीके से कर सकती है| अगर घर की महिलाओं की भागीदारी होगी तो परिवार ठीक से चलेगा| परिवार संपन्न होगा तो देश तरक्की करेगा और सभी खुशहाल होंगे|
सुमन उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर चयनित कृषि सखियों को प्रशिक्षण देती है| अब तक 1000 महिला किसानो को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना चुकी हैं| इनके बनाये उत्पाद से भरपूर फसल का उत्पादन हो रहा है| कीटनाशक के लिए भी प्राकृतिक तरीका ही अपनाती हैं |
बताया की शुरुआत में फसल का उत्पादन कम हुआ। लेकिन तीसरे साल से भरपूर उत्पादन होने लगा| रासायनिक खाद महंगी होने से खेती की लागत ज्यादा आती है| प्राकृतिक खेती में लागत काफी कम आती है| कल आपको मेहनत करनी होगी समय पर कम करना होगा |
मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री कर चुके हैं सम्मानित
सुमन को २०२२ में किसान दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सम्मानित कर चुके हैं | यही नहीं वाराणसी दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सुमन की सराहना कर चुके हैं | प्रधानमंत्री ने सुमन की तारीफ करते हुए कहा था कि महिलाये परिवार के साथ हर जगह बेहतर कर सकती हैं |
एसे बनाते है ब्रह्मास्त्र
10 लीटर गोमूत्र में नीम, आम, अमरूद की पत्ती का घोल बना कर इसे बनाया जाता है | इसे एक बीघे में तीन बार डाला जाता है|

क्या है प्राकृतिक खेती
प्राकृतिक खेती वह खेती होती है, जिसमे फसलों पर किसी भी प्रकार का रासायनिक कीटनाशक वेबैक मशीन एवं उर्वरको का प्रयोग नहीं किया जाता है। सिर्फ प्रकृति के दौरान निर्मित उर्वरक और अन्य पेड़ पौधों के पत्ते खाद, पशुपालन, गोबर खाद एवं जैविक कीटनाशक वेबैक मशीन उपयोग लाया जाता है। यह एक प्रकार से विविध प्रकार की कृषि प्राणली है। जो फसलों और जीव-जन्तु पेड़ो को एकीकृत करके रखती हैं।
प्राकृतिक खेती, कृषि की प्राचीन पद्धति है। यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता है, बल्कि प्रकृति में आसानी से उपलब्ध होने वाले प्राकृतिक तत्वों, तथा जीवाणुओं के उपयोग से खेती की जाती है | यह पद्धति पर्यावरण के अनुकूल है तथा फसलों की लागत कम करने में कारगर है | प्राकृतिक खेती में जीवामृत (जीव अमृत), घन जीवामृत एवं बीजामृत का उपयोग पौधों को पोषक तत्व प्रदान करने के लिए किया जाता है | इनका उपयोग फसलों पर घोल के छिड़काव अथवा सिंचाई के पानी के साथ में किया जाता है प्राकृतिक खेती में कीटनाशकों के रूप में नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्निअस्त्र, सोठास्त्र, दषा पड़नी, नीम पेस्ट, गोमूत्र का इस्तेमाल किया जाता है।

रासायनिक खेती के नुकसान
हम पिछले कई वर्षों से रासायनिक खाद का प्रयोग फसलों पर करते आ रहे है। जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो चुकी है एवं भूमि के प्राकृतिक स्वरूप में भी बदलाव हो रहे है जो किसानो के लिए काफी नुकसानदायक है। रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण प्रतिदिन बढ़ रहा है। किसानों की फसल पैदावार कमाई का आधा हिस्सा रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक खरीदने में चला जाता है। क्योकि रासायनिक कीटनाशन काफी महंगे होते है।
यह भी पढ़े- 52 हजार किसानों को मिलेगा सोलर पंप, फ्री में होगी खेत की सिंचाई, नहीं आएगा बिजली बिल