इस लेख में गेहूं की ऐसी वैरायटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे उत्पादन तगड़ा होगा। यह रोग-प्रतिरोधी है और बदलते मौसम में भी अच्छा प्रदर्शन करती है।
गेहूं की HD 3385 वैरायटी
यहां पर गेहूं की HD 3385 वैरायटी की बात की जा रही है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा, दिल्ली) द्वारा विकसित किया गया है। इससे किसान भाई एक बीघा में लगाकर करीब 18 क्विंटल 50 किलो तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
इससे अच्छा उत्पादन मिलने के साथ-साथ इसकी गुणवत्ता भी बेहतरीन होती है। इसकी रोटी बढ़िया बनती है, खाने में चपाती स्वादिष्ट होती है। इसका भूसा भी ज्यादा मिलता है, क्योंकि इसमें बायोमास अधिक होता है। बायोमास अधिक होने के कारण डंठल (straw) ज्यादा और मजबूत होते हैं, जिससे भूसा भी बंपर मात्रा में मिलता है।
यह गर्मी को सहन कर लेती है, इसलिए किसानों को नुकसान नहीं होता। यह रोग-प्रतिरोधी वैरायटी है पीला रतुआ, काला रतुआ जैसे रोगों के प्रति यह प्रतिरोधी है। इससे कीटनाशकों का इस्तेमाल कम करना पड़ता है, जिससे लागत घटती है। चलिए, जानते हैं इसे कब तक लगाया जा सकता है।

गेहूं की खेती का समय
अगर किसान भाई गेहूं की एचडी 3385 वैरायटी का चयन करते हैं, तो बता दें कि 25 अक्टूबर से लेकर 17 नवंबर तक इसे आसानी से बोया जा सकता है। अगर 17 नवंबर तक बुवाई की जाती है, तो यह फसल 28 मार्च तक तैयार हो जाती है। हालांकि, अगर कोई किसान आगे की बुवाई करना चाहता है तो इसका उपयुक्त समय 20 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच माना गया है। इससे फसल गर्मी आने से पहले ही पक जाती है।
अलग-अलग क्षेत्रों के हिसाब से लगाने का समय थोड़ा बदल सकता है। किसानों को एक बात और ध्यान में रखनी चाहिए कि यह वैरायटी पुरानी किस्मों की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत तक ज्यादा उत्पादन देती है। गेहूं की एचडी 3385 वैरायटी को हीट टॉलरेंट किस्म कहा गया है। यह प्रति हेक्टेयर 75 से 80 क्विंटल तक उत्पादन देने की क्षमता रखती है।

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