20 नवंबर से पहले लगाएं गेहूं की ये वैरायटी, बंजर जमीन में भी देगी बंपर उत्पादन, कम पानी में हो जाएगी खेती, जानिए किस्म के नाम और खासियत।
गेहूं की खेती
गेहूं एक पारंपरिक फसल है, सालों से किसान गेहूं की खेती करते आ रहे हैं। लेकिन वह किसान जिनके यहां की जमीन बंजर- उसर है तो वह भी गेहूं की खेती कर सकते हैं। गेहूं की कुछ ऐसी वैरायटी हैं जो की बंजर जमीन, ऊसर जमीन में भी कम पानी में अच्छी पैदावार देती हैं। यानी कि किसान अपनी जमीन के अनुसार गेहूं के किस्म का चुनाव कर सकते हैं और उनकी बुवाई करके पानी और मिट्टी की चिंता छोड़ सकते हैं। जि
समें आज हम आपको कुछ ऐसी वैरायटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें 20 नवंबर से पहले अगर खेती कर लेते हैं तो अच्छा उत्पादन मिलेगा। यह जानकारी कृषि विशेषज्ञ द्वारा दी गई है तो चलिए सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि गेहूं की वह वैरायटी कौन सी है और उनकी खेती करते समय किन बातों का ध्यान रखना है।
गेहूं की दो वैरायटी
गेहूं की यहां पर आपको दो वैरायटी बताई गई है। जिनके बीच का चुनाव करके किसान बंजर-ऊसर जमीन में खेती कर सकते हैं। जिसमें कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की ल 210 के अलावा अगर किसान चाहे तो गेहूं की RL 210 और K RL 213 लगा सकते हैं। यह दोनों वैरायटी ऊसर जमीन के लिए बढ़िया है। बंजर जमीन के किसान भी इसकी खेती कर सकते हैं। लेकिन खेती करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना है, जिससे किसी तरह की आगे समस्या नहीं आएगी तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।
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गेहूं की बीज बुवाई और खाद
गेहूं की खेती तो कई सालों से किसान कर रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ ऐसी चीज आ गई है जिनका अगर किसान इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें फसल में रोग बीमारी कम देखने को मिलेगी और पैदावार ज्यादा होगी। जैसे की बीज का उपचार बुवाई से पहले किसान को बीच का शोध कर लेना चाहिए। जिसमें कार्बेंडाजिम 2.5 ग्राम लेकर 1 किलो के बीच का शोध कर सकते हैं। इससे रोग नहीं लगेगा और अंकुरण अधिक मात्रा में होगा। साथ ही मिट्टी का परीक्षण करवा लें। जिस खाद की कमी हो। उसके अनुसार खाद का इस्तेमाल करें।
एक हेक्टेयर में 200 किलोग्राम जिप्सम डाल सकते हैं। इससे मिट्टी को फायदा होगा। लेकिन इस बात का ध्यान रखें की मिट्टी का परीक्षण जरूर करवाएं। कृषि केंद्र में आप यह करवा सकते हैं। लेकिन 20 नवंबर से पहले किसान को उनकी बुवाई कर देनी चाहिए। जब तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो तो। अलग-अलग क्षेत्र में तापमान अलग रहता है तो इस हिसाब से किसान तापमान का ध्यान रखें।
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