गेहूं की खेती से अगर किसान नुकसान नहीं उठाना चाहते हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि इस समय गेहूं के फसल में कौन से चार रोग लग सकते हैं और इससे अपनी फसल को बचाने के लिए कौन से उपचार करें-
गेहूं की फसल में लगने वाले रोग
गेहूं की खेती में किसानों को मुनाफा है। MSP पर सरकार गेहूं की खरीदी भी करती है। लेकिन गेहूं के दानों की गुणवत्ता अच्छी होगी तभी किसानों को अच्छी कीमत में मिलेगी। पैदावार अधिक होगी तो ज्यादा मुनाफा भी होगा। जिसके लिए किसानों को समय पर अपने खेत का निरिक्षण करना चाहिए, देखना चाहिए की फसलों में किसी तरह की कोई समस्या तो नहीं है, कोई रोग बीमारी तो नहीं लगी है, और अगर ऐसा कुछ है तो उसके लिए उन्हें क्या करना है, इसकी जानकारी होनी चाहिए। तो चलिए सबसे पहले चार बिंदुओं के अनुसार गेहूं के फसल में लगने वाले चार रोगों के बारे में जानते हैं फिर उसके बाद इसका समाधान क्या है वह भी जानेंगे-
- सबसे पहले हम गेहूं की फसल में लगने वाले पीला रतुआ रोग की बात करेंगे। आपको बता दे कि पीला रतुआ रोग आसानी से गेहूं की फसल को घेर लेता है। यह रोग पक्सीनिया स्ट्राइपफारमिस नामक कवक के वजह से फसल में फैलता है। यह पीला रतुआ रोग जब गेहूं की फसल में लग जाता है तो गेहूं की पत्तियों में पीली धारियां दिखाई पड़ती है। जिससे गेहूं की बाली का विकास अच्छे से नहीं हो पाता और उत्पादन में कमी देखने को मिलती है। इसलिए गेहूं के किसानों को इस पर ध्यान रखना चाहिए।
- इसके अलावा गेहूं की फसल में पूर्ण झुलसा रोग की समस्या भी देखने को मिलती है। पूर्ण झुलसा रोग के कारण भूरे रंग के धब्बे फसल में दिखाई देते हैं। जिसके कारण प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में रुकावट आती है और फिर किसानों को पैदावार कम मिलती है जिससे उन्हें ज्यादा कमाई नहीं होती।
- तीसरे रोग की बात कर तो गेहूं की फसल में किसानों को उकठा रोग देखने को मिलता है।
- गेहूं की फसल में किसानों को लूज स्मट रोग भी दिखाई देता है। यह बेहद खतरनाक रोग माना जाता है। इससे गेहूं की बोलियों में काला रंग का पाउडर दिखाई पड़ता है। यानी कि गेहूं की बाली पूरी तरह से खराब हो जाती है। इस रोग को फैलने से किसान नहीं रोक पाते क्योंकि हवा में यह फैल कर पौधों को संक्रमित करता है। जिसके लिए किसान उपचार जरूर कर सकते हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि यह चारों रोग अगर गेहूं की फसल में लगते हैं तो उसके लिए किसानों को क्या करना चाहिए।
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इन चारों रोगों का समाधान जाने
गेहूं की फसल में अगर पूर्ण झुलसा रोग, उकठा रोग, पीला रतुवा रोग, लूज स्मट नामक बीमारी लगती है तो उसके लिए क्या उपचार कर सकते हैं इसके बारे में नीचे लिखी बिंदुओं के अनुसार जाने-
- गेंहू की फसल में लगने वाले रोगो के बारें में हमने जान लिया है। अगर किसानों को इनमें से कोई समस्या अपनी फसल में दिखाई देती है तो समय पर उपचार करें। जिसमें अगर फसल में पीला रतुआ रोग दिखाई दे रहा है तो किसानों को इसके लिए बुवाई के समय रोग प्रतिरोधी किस्म का चयन करना चाहिए लेकिन अब यह समस्या आ गई है तो फफूंदनाशकों जैसे कि मैंकोजेब और प्रोपिकोनाजोल छिड़क सकते है। इससे यह समस्या हल हो सकती है।
- इसके आलावा किसान लूज स्मट से अपनी फसल को बचाने के लिए बुवाई के समय बीज उपचार करें। जिसमें बीजों को कासुगामायसिन या कार्बेण्डाजिम से उपचारित करेंगे तो यह रोग नही आएगा। वहीं समस्या दिखाई पड़ने पर जैविक उपचार कर सकते है। जिसमे स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस डाले इससे यह रोग खत्म होगा।
- वहीँ अगर किसानों को गेंहू की फसल में पर्ण झुलसा रोग दिखाई दे रहा है तो इसके लिए थायोफेनेट मिथाइल या हेक्साकोनाजोल छिड़के। इससे किसानों को इस रोग को दूर करने में मदद मिल सकती है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।