गेहूं की फसल में मंडूसी खरपतवार से किसानों को भारी घाटा हो सकता है। चलिए आपको इस खरपतवार के बारें में जानकारी देते है-
गेहूं की फसल में मंडूसी खरपतवार
गेहूं की खेती में किसानों को मुनाफा लेने के लिए फसल को रोग-बिमारी से बचाना पड़ता है, खरपतवार हटाना पड़ता है। लेकिन कुछ जिद्दी खरपतवार होते जो आसानी से दिखाई हटते नहीं या खेत में छुपे होते है। जिसमें आज हम एक ऐसे खरपतवार की जानकारी लेकर है जिससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। जी हाँ मंडूसी खरपतवार गेहूं की फसल के लिए बर्बादी ही है। दरअसल यह गेहूं की फसल के पोषण को खा लेता है। जिससे गेंहू की फसल कमजोर होती है। उत्पादन में कमी और गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। तब चलिए जानते है यह दिखाई कैसा देता है और इसे खेत से कैसे हटाए।
मंडूसी खरपतवार कैसा होता है?
सबसे पहले हम इस खरपतवार की पहचान की बात कर लेते है तो बता दे कि यह मंडूसी पहले तो गेहूं की फसल की तरह दिखाई पड़ता है। अगर इसे ढूंढ रहे तो इसका रंग देखे जो कि गेहूं के पौधे से अलग होता है हल्का होता है। इसके आलावा एक और बात कि इसके तने का रंग जमीन के पास लाल दिखाई पड़ता है। जिससे आसानी से इसकी पहचान कर सकते है। इसके तने को किसान भाई कारकर देख सकते है। पत्तों और तने से इसके लाल रंग का पदार्थ निकलता दिखाई देगा। जिससे पक्का हो जाएगा की यह मंडूसी खरपतवार ही है।
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मंडूसी खरपतवार का खात्मा कैसे करें
किसान भाई अगर आपके खेत में मंडूसी खरपतवार है तो इसके लिए सतर्क हो जायेगी और इसका समाधान कीजिये। जिससे नुकसान न हो। जिसके लिए दवाइयों का छिड़काव कर सकते है। अगर गेहूं की बुवाई से पहले स्टाम्प 30 ई. सी. खरपतवारनाशी डाला होता तो यह समस्या ना आती। लेकिन अगर यह समस्या है तो देखें कि मंडूसी खरपतवार के पौधे में 2 से 3 पत्ते है तो लीडर (सल्फोसल्फ्यूरॉन) 33.3 ग्राम का इस्तेमाल करें। इसके लिए 250 से 300 लीटर पानी में घोल तैयार करें और एक हेक्टेयर में यह मात्रा छिड़के। यह एक अच्छा विकल्प होगा।
अगर यह नहीं है तो किसान सेन्कोर 70 डब्ल्यू. पी. (मैट्रिब्यूजिन) 250 ग्राम लेकर 500 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर की जमीन में छिड़क सकते है। लेकिन अगर यह भी नहीं डालना चाहते तो टॉपिक 15 डब्ल्यू. पी. (क्लोडीनाफोप) 400 ग्राम को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर छिड़क सकते है, बेहतर है यह दवाई भी। इनसे खरपतवार नष्ट होगा। यह दवाइयां शाकनाशी (Herbicides) है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।