गेहूं की फसल से अगर अधिक पैदावार लेना चाहते हैं तो चलिए जानते हैं कल्लो की संख्या कैसे बढ़ाएं-
गेहूं की खेती
गेहूं रबी की मुख्य फसल है। जिसमें अधिक पैदावार मिलने पर किसानों को अधिक फायदा होगा। इसलिए आज हम इस लेख के जरिए जानेंगे कि कौन-सी ऐसी चीज है जिसको डालने से फसल को पूरा पोषण मिलेगा और कल्ले ज्यादा आएंगे। जिससे पैदावार अधिक मिलेगी।
गेहूं की सिंचाई
सिंचाई फसलों की सही समय पर की जाए तो किसानों को फायदा होता है। जिसमें गेहूं की सिंचाई की बात करें तो पहली सिंचाई किस 21 से 25 दिन की अवस्था में करते हैं। तब पौधों को हल्के पानी की जरूरत होती है। इस समय खेत में पानी ऐसे नहीं भरना है कि लंबे समय तक वह पानी रुक रह जाए। नहीं तो फसल की जड़ सड़ जाती हैं। फसल को नमी की जरूरत होती है।
कब कैसे डालें यूरिया खाद
किसानों को यूरिया खाद भी समय पर देना चाहिए। समय से पहले या समय के बाद देने पर उन्हें फायदा नहीं होगा। बल्कि कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। जिसमें यूरिया डालने के सही समय की बात करें तो एक्सपर्ट का कहना है कि जब किसान सिंचाई करते हैं तो सिंचाई के करीब 500 दिन बाद जब खेत में हल्की नमी रहती है, खेत में खड़े होने पर पैर टिक जाते हैं उस समय यूरिया खाद डालें। जिसमें एक एकड़ में लगभग 45 से 50 किलो यूरिया इस्तेमाल करना बेहतर माना जाता है। यूरिया के इस्तेमाल से किसानों को कई फायदे होते हैं।
इससे नाइट्रोजन की कमी पूरी हो जाती है। फसल में हरियाली दिखाई देती है। फुटाव भी ज्यादा होते हैं। फसल का विकास भी तेजी से होता है। लेकिन अगर यूरिया के साथ-साथ एक और चीज का इस्तेमाल कर लेते हैं तो कल्लो की संख्या पहले से कहीं ज्यादा आएगी। जिससे किसानों को अधिक उपज मिलेगी तो चलिए उसके बारे में जानते हैं।
यूरिया के साथ डाले यह चीज
गेहूं में कल्लो की संख्या ज्यादा से ज्यादा लेने के लिए किसान यूरिया के साथ बायो बीटा डाल सकते हैं। बायो बीटा बिल्कुल जैविक खाद है। इसका इस्तेमाल करने से फसल में आयरन, सल्फर, मैंगनीज, कैल्शियम, कोबाल्ट, जिंक और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व मिलते हैं। इससे कल्लो की संख्या अधिक आती है। पौधे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिससे फसल में जल्दी बीमारी नहीं लगती। जड़ गहराई तक जाती है। फसल का विकास होता है।
यानी कि एक तरह से यह बहुत बेहतरीन है, इसके इस्तेमाल की बात करें तो एक एकड़ में किसान पांच किलो इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर बायो बीटा नहीं है तो इसकी जगह पर किसान क्या करें चलिए जानते हैं
बायो बीटा की जगह ये डाल सकते है
किसानों को अगर बायो बीटा नहीं मिल पा रही है तो उसके जगह पर जिंक सल्फेट, फेरस सल्फेट और मैग्नीशियम सल्फेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसमें एक एकड़ के हिसाब से 500 ग्राम जिंक सल्फेट 33% और 500-500 ग्राम फेरस सल्फेट और मैग्नीशियम सल्फेट लेना है। इससे भी फसल को फायदा होता है। इस पानी के साथ इस्तेमाल करके शाम के समय फसल में छिड़कना है। जिसमें पानी की मात्रा की बात करें तो 100 लीटर पानी लेना है। इस तरह बायो बीटा या इसकी जगह पर इन तीनों चीजों का इस्तेमाल किसान यूरिया के साथ करते हैं तो 15 दिन में उन्हें रिजल्ट देखने को मिल जाएगा।