गेहूं की फसल बर्बाद कर रहा गुलाबी सुंडी रोग, दवा भी नहीं कर रही काम, जानिए क्या करें किसान

गेहूं की खेती में जुटे किसानों के लिए बड़ी खबर है। गुलाबी सुंडी रोग पंजाब के किसानों को परेशान कर दिया है। लाखों रुपए पानी में जा चुके हैं। किसान अब दोबारा से गेहूं की खेती करने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं कैसे किसान समय पर इससे बच सके-

गेहूं की फसल में गुलाबी सुंडी रोग

पंजाब में गेहूं की खेती बहुतायत रूप से होती है। जिसमें किसानों को गुलाबी सुंडी रोग का आतंक देखने को मिल रहा है। जी हां आपको बता दे कि कई किसानों की फसल गुलाबी सुंडी रोग की वजह से बर्बाद हो चुकी है और उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है। क्योंकि उन्हें इसके बारे में जानकारी का अभाव था। उन्होंने फसल को बचाने के अपनी तरफ से कई प्रयास किये। लेकिन उनकी मदद नहीं हो सकी और फसल पूरी तरह से खराब हो गई।

गुलाबी सुंडी रोग रोग का नहीं मिला समाधान

किसान ने गुलाबी सुंडी रोग का समाधान ढूंढने का बहुत प्रयास किया। लेकिन किसान की गेहूं की फसल बर्बाद हुई। किसान का नाम सुखमिन्दर सिंह और गुरसेवक सिंह है। इन दोनों किसानों ने करीब 20 एकड़ की जमीन में गेहूं की खेती की थी। जिनकी फसल पूरी तरह से खराब हो चुकी है। अपनी फसल को गुलाबी सुंडी रोग से बचाने के लिए उन्होंने दवाई का छिड़काव किया। लेकिन कुछ भी काम नहीं आया।

अंत में फसल खराब ही हो गई। इतना ही नहीं उन्होंने कृषि विभाग से भी संपर्क किया। मगर वहां भी उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। तो चलिए जानते हैं कृषि अधिकारियों का क्या कहना है किसान कैसे अपनी फसल को गुलाबी सुंडी रोग से बचाएं।

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गुलाबी सुंडी रोग लगने पर क्या करें किसान

गेहूं की फसल को किसान अगर गुलाबी सुंडी रोग से बचाना चाहते हैं तो उन्हें समय पर कृषि अधिकारियों से संपर्क करना होगा। अगर वह इसके बारे में उन्हें जानकारी देने में देरी कर देते हैं तो फिर कोई दवाई काम नहीं करेगी। कृषि अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने गेहूं की बुवाई से पहले ही इस रोग के खतरे और उसके बचाव के बारे में बताया था। लेकिन बहुत कम किसानों के पास यह जानकारी पहुंच पाई थी। लेकिन अगर किसान को इस रोग का खतरा अपने खेत में दिखाई देता है तो उन्हें कृषि अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।

वह खेत को निरीक्षण करके उसका उपाय किसानों को बताएंगे। जिसके लिए किसान को कृषि विभाग में जाना होगा। सर्दियों में इस रोग का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए किसानों को समय-समय पर खेत का निरीक्षण करते रहना चाहिए।

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