सर्दियों में फसलों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। धूप बढ़िया नहीं लगती है तो कीट-रोग आदि की समस्या बढ़ जाती है। जिससे उत्पादन घटने से किसानों को नुकसान हो सकता है। इसलिए जानते हैं इस समय फसलों में कौन सी समस्या आ रही है और उनका उपाय क्या है-
सर्दियों में गेंहू-चना की फसल को नुकसान
किसान भाइयों को हम समय-समय पर सर्दियों में आने वाली समस्याओं और उसके उपाय के बारे में जानकारी देते रहते हैं। जिसमें आज हम गेहूं, चना के फसल में आने वाली समस्याओं के बारे में जानेंगे। जैसा कि आप जानते हैं मौसम में परिवर्तन हो रहा है। तापमान गिर रहा है। जिससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बढ़िया तरीके से नहीं हो पाती है। फसल अपना भोजन सही तरीके से नहीं बना पाते हैं। जिसकी वजह से वह कमजोर हो जाते हैं। तो चलिए सबसे पहले हम जानते हैं चना में कौन से रोग, कीट समय लगा सकते हैं और उसके उपाय क्या है उसके बाद गेहूं के बारे में जानेंगे।
चना में रोग-कीट
चने की खेती से अधिक मुनाफा लेने के लिए किसानों को अधिक उपज बढ़िया गुणवत्ता की लेनी पड़ेगी। जिसके लिए उन्हें चने में आने वाले रोग-कीट समाधान समय पर करना होगा। जिसमें बता दे कि चने में सुण्डी इल्ली, उकठा रोग लग सकता है। जड़े सड़ सकती है, फसल सूख सकती है। ऐसा कई किसानों को अपनी फसल में देखने को मिल रहा है।
उपाय– चना में आने वाली जो समस्याएं ऊपर बताई गई है उसके लिए किसान इमामेक्टिन बेन्जोएट के साथ प्रोफेनोफास डाल सकते है। जिसके लिए मात्रा 200 ग्राम प्रति एकड के अनुसार रहेगी। इसके आलावा क्लोरोइन्ट्रानिलीप्रोल के साथ लेम्ब्डासाइलोथ्रिन 80 मिली प्रति एकड के साथ फ्लूपायराक्साइड के साथ पायरोक्लोरोस्ट्रोबिन 150 मिली प्रति एकड डाल सकते है। अगर किसान चाहे तो एजोक्सीस्ट्रोबिन के साथ टेबूकोनोजोल 150 मिली प्रति एकड के साथ एनःपीःके 19:19:19, 1 किग्रा प्रति एकड से 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़क सकते है। इससे बढ़िया रिजल्ट मिलेंगे।
गेंहू में रोग-कीट
गेंहू की खेती में भी किसानों को कई तरह की दिक्क्तों को सामना करना पड़ता है। जिसमें जड माहू कीट इसके आलावा कठुआ इल्ली आदि। इन भारी नुकसान होता है। फसल पीली होने लगती है। फिर सूख जाती है। उत्पादन घट जाता है।
उपाय– गंहू की फसल में अगर यह समस्याएं आती है तो इसके लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट के साथ प्रोफेनोफास 200 ग्राम प्रति एकड के साथ एनःपीःके 19:19:19, 1 किग्रा प्रति एकड की दर से 150 लीटर पानी में घेालकर छिड़क सकते है। इससे भी फसल बर्बाद नहीं होगी।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।