गर्मी में नहीं सूखेगी तुलसी, खाद-पानी और मिट्टी से जुड़े यह नियम दिमाग में बैठायें, हरा-भरा रहेगा तुलसी का पौधा

गर्मी में तुलसी को सूखने से बचाना चाहते हैं तो चलिए आपको बताते हैं तुलसी के पौधे में किन बातों का ध्यान रखना है, जिससे वह हरी भरी बनी रहेगी-

गर्मी में तुलसी की देखभाल

तुलसी का पौधा धार्मिक के अलावा औषधि रूप से भी महत्व रखता है। जिससे हर धर्म के लोग उसे अपने घर में लगाकर रखते हैं। तुलसी की पत्तियां बहुत ही गुनकारी होती है। तुलसी की लकड़ी भी इस्तेमाल में आती है। इसलिए लोग तुलसी का पौधा जरूर लगाते हैं और हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा भी करते हैं। तुलसी का पौधा बड़े आसानी से तैयार हो जाता है। इसे बहुत अधिक देखभाल की जरूरत भी नहीं पड़ती। लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है।

गर्मी, बरसात और सर्दी में तुलसी को सूखने से बचाने के लिए क्या करना चाहिए इसके लिए हम समय पर जानकारी लेकर आते रहते हैं। जिसमें गर्मी शुरू हो रही है तो चलिए जानते हैं गर्मी में खाद, पानी और मिट्टी में किन बातों का ध्यान रखना है।

गर्मी में रखें पानी का ध्यान

गर्मियों में तुलसी के पौधे में सबसे जरूरी चीज पानी का ध्यान रखना होता है। कुछ लोग सोचते हैं कि गर्मी है उसे बहुत ज्यादा पानी की जरूरत है। इसलिए अधिक पानी दे देते हैं। लेकिन ऐसा भी नहीं करना है। सुबह और शाम हल्का पानी दें। साथ ही ध्यान रखें कि अगर ऊपर की मिट्टी सूखी है तभी पानी दे। बहुत ज्यादा लंबे समय तक गमले में पानी न रुकने दे। गमले में पानी रुकेगा तो जड़ सड़ जाएगी। इसलिए ध्यान रखें कि गमले में छेद बढ़िया से काम कर रहे हो।

पानी अगर ज्यादा दे रहे हैं तो गमले से पानी निकल जाए। ऊपर की मिट्टी जब सूख जाए तभी पानी देना चाहिए। दोपहर के समय पानी नहीं देना है। सुबह 10:00 बजे से पहले या शाम को पानी देना चाहिए।

गर्मी में तुलसी

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दोपहर की धूप से बचाए

गर्मियों में सबसे ज्यादा तेज धूप दोपहर में होती है। उस समय अच्छे-खासे पौधे भी मुरझा जाते हैं। तुलसी के पौधे को भी दोपहर की चिलचिलाती धूप से बचाना चाहिए। सुबह की दो-तीन घंटे की धूप लग जाए तो अच्छा है। लेकिन दोपहर की धूप पूरे दिन तुलसी पर पड़ेगी तो पौधा सूख सकता है। जिसके लिए उसे छांव वाली जगह पर रख देना चाहिए।

मिट्टी में मिलाएं यह चीज

पौधे को मिट्टी से पोषण मिलता है। इसलिए समय-समय पर पुरानी गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट खाद मिट्टी में मिलाएं। जल निकासी का ध्यान रखें। मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। ताकि जड़ों में हवा जाए। तुलसी की मिट्टी भुरभुरी होती है तो बेहतर होता है।

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