अपराजिता के पौधे में फरवरी महीने में आपको कुछ काम करने हैं जिससे आने वाले समय में मार्च से लेकर अक्टूबर तक इसमें फूलों की कमी नहीं होगी-
अपराजिता का फूल
अपराजिता का फूल बेहद खूबसूरत होता है, यह बेल वाला पौधा है। अपराजिता की कई वैरायटी आती है, जिनके रंग अलग होते हैं, जिसमें से नीला अपराजिता का फूल मुख्य वैरायटी है। यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है। आपको बता दे की अपराजिता के फूलों की चाय बनाई जाती है तो अगर आपने भी अपने घर में अपराजिता गमले में या जमीन पर लगाया तो आपको बता दे की फरवरी महीने में इसमें कुछ काम करने पड़ेंगे, जिससे आने वाले समय में इसमें फूल आएंगे। क्योंकि सर्दियों में अपराजिता के पौधे में फूलों की कमी हो जाती है।
फरवरी में करें ये 4 काम
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जाने की अपराजिता के पौधे में फरवरी में कौन से काम पूरे करने हैं-
- हार्ड प्रूनिंग– फरवरी महीने में अपराजिता के बेल की हार्ड प्रूनिंग कर सकते हैं। इसके लिए सूखी जो ब्रांच है उन्हें हटा दीजिए और पुरानी ब्रांच को भी काट दें। अगर हार्ड प्रूनिंग नहीं करते हैं तो फिर फूल कम आते हैं और नई शाखाएं भी नहीं बनती है। इसलिए कटाई-छटाई समय-समय पर करते रहना चाहिए, जिसमें फरवरी बढ़िया समय है।
- खाद- आने वाले समय में अपराजिता से ज्यादा फूल लेने के लिए इस फरवरी महीने में उसकी मिट्टी की हल्की गुड़ाई करके खाद देना चाहिए। जिसमें आप पुरानी गोबर की खाद दे सकते हैं। इसके अलावा घर में कंपोस्ट या फिर रसोई घर से निकले हर कचरे से बनी खाद भी दे सकते हैं।
- मिट्टी और जड़- फरवरी महीने में अपराजिता की मिट्टी भी बदल सकते हैं। अगर गमले में लगाया तो उसकी मिट्टी बदल सकते हैं और जड़ ज्यादा हो गई है तो जड़ों को ट्रिम /छांट सकते हैं। इससे पौधे को नुकसान नहीं होगा।
- नीम तेल या फंगीसाइड– अपराजिता की पत्तियों को कीटों से बचाने के लिए इस समय नीम तेल या फंगीसाइड का स्प्रे पत्तियों पर करें। इससे आने वाले समय में पौधे में रोग बीमारी या कीटों का प्रकोप नहीं देखने को मिलेगा। जिससे पौधा हरा भरा भी दिखाई देगा।
- बीज से पौधा तैयार- अगर आप नया पौधा नई जगह पर लगाना चाहते हैं तो उसके बीजों से नया पौधा तैयार कर सकते हैं। अपराजिता की कटिंग भी लगाई जा सकती है। कटिंग लगाने के लिए मार्च सही समय होगा।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।

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