गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी खबर, फसलों में देखे जा रहे हैं तो खतरनाक रोग, जानिए इन्हें कैसे करें दूर-
गन्ने की फसल में लगने वाले रोग
किसान अगर समय पर गन्ने की फसल में लगने वाले रोगों पर काबू नहीं पाते हैं तो वह धीरे-धीरे पूरी फसल को अपनी चपेट में ले लेते हैं। जिससे पैदावार में कमी तो अच्छी ही जाती है। साथ ही साथ गन्ने की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। जिससे किसानों को गन्ने की अच्छी कीमत नहीं मिलेगी। जिसमें आज हम पोक्का बोइंग और टॉप बोरर रोग की बात कर रहे हैं। चलिए आपको बताते हैं इन दोनों रोगों के लक्षण क्या है, और कौन सी दवा का इस्तेमाल करके किसान इसे अपनी फसल को बचा सकते हैं।
रोगों के नाम और लक्षण
नीचे लिखे दो बिंदुओं के अनुसार पोक्का बोइंग और टॉप बोरर रोग के लक्षण जाने-
- पोक्का बोइंग सबसे पहले हम पोक्का बोइंग रोग की बात कर लेते हैं तो इस रोग के लक्षण की बात करें तो गन्ना जब जमीन से ऊपर की तरफ आप देखते हैं तो ऊपर की तरफ पतला होता जाता है और ऊपर जाकर बिल्कुल खत्म ही हो जाता है। यानी कि इससे गन्ना पतला होगा। बताया जाता है कि पोक्का बोइंग एक फ़ंगस से फैलने वाली बीमारी है, जिससे पत्तियों पर लाल और पीले रंग के चकत्ते बन जाते हैं। जिससे किसान को नुकसान होगा।
- टॉप बोरर की बात करें तो इससे पत्तियों में छेद हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे की गोली लगने का निशान बना हो। यह भूरे रंग के चकत्ते होते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि टॉप बोरर एक कीट है जो गन्ने की पत्तियों की गोभ में लगा हुआ रहता है।
यह भी पढ़े- गन्ना की कीमत में ₹20 प्रति क्विंटल हुआ इजाफा, मुख्यमंत्री ने की घोषणा
दवाई का नाम और मात्रा
गन्ने की फसल में अगर पोक्का बोइंग और टॉप बोरर रोग लगते हैं तो इसके लिए किसान दवा का छिड़काव कर सकते हैं। चलिए नीचे लिखे दो बिंदुओं के अनुसार रोगों के लिए कौन सी दवा का छिड़काव करें इसके बारे में जानते हैं-
- फसल में अगर पोक्का बोइंग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो किसान इस दवा CARBENDAZIM 12% + MANCOZEB 63% WP fungicide का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह 200 लीटर पानी में 500 मिलीलीटर दवा मिलाकर छिड़कना है।
- अगर फसल में टॉप बोरर रोग दिखाई दे रहा है तो उसके लिए किसान यह दवा PROFENOFOS 40% + CYPERMETHRIN 4% ECINSECTICIDE छिड़क सकते हैं। यह भी 200 लीटर पानी में 500 मिलीलीटर दवा मिलाकर छिड़कना है। यह मात्र एक एकड़ के अनुसार बताई जा रही है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।