Free seeds: किसानों को मुफ्त में 3200 क्विंटल सोयाबीन के बीज बांटे गए, जमीन के अनुसार किस्म का हुआ चुनाव

सोयाबीन के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है, सरकार मुफ्त में बीज बांट रही है, जिससे अच्छा उत्पादन मिलेगा, लागत कम होगी-

सोयाबीन के बीज मुफ्त में दे रही सरकार

सोयाबीन की खेती कई कारण से किसान करते हैं जैसे कि उच्च पोषण गुणवत्ता, बाजार में डिमांड, कम लागत में ज्यादा कमाई आदि। सोयाबीन का इस्तेमाल औद्योगिक उपयोग जैसे कि तेल बनाने, खाद्य पदार्थ बनाने में किया जाता है। इसके अलावा यह एक सस्ता पशु आहार है। इसकी फसल 90 दिन में तैयार हो जाती है।

आपको बता दे की सोयाबीन के 3200 क्विंटल प्रमाणित बीज किसानों को मुफ्त में दिए गए हैं। जिसमें 4000 किसानों को मुक्त में भी मिला है। जिसमें खेत की जमीन के अनुसार ही उन्हें बीजकी वैरायटी दी गई है। जिससे अच्छा उत्पादन मिलेगा।

यहां पर सामान्य किसानों को 34%, 28% पिछड़ा वर्ग और 21% अनुसूचित जनजाति के साथ-साथ 17% अनुसूचित जाति के किसानों को लाभ दिया गया है।

किस राज्य के किसानों को मिला फायदा

दरअसल, राजस्थान के किसानों को यह फायदा मिला है। कोटा जिले में नेशनल मिशन ऑन ऑयल सीड कार्यक्रम में किसानों को सोयाबीन के प्रमाणित बीज दिए गए हैं।

इसके अलावा आपको बता दे की सांगोद पंचायत समिति में हजार किसानों का पंजीयन किया गया। प्रगतिशील किसानों को एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए बीज दिए गए। जिसमें वैरायटी की बात करें तो JS-20116, JS-2098 के बीज उपलब्ध कराए गए। यहां पर 80 किलोग्राम सोयाबीन का बीज बांटा गया है। प्रगतिशील किसानों को देखकर अन्य किसानों को भी इन बीजों के बारे में जानकारी मिलेगी।

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कैसे मिला योजना का फायदा

इस योजना का लाभ किसानों को बड़े ही आसानी से मिला है। जिसमें बताया जा रहा है कि डिजिटल डेटा के आधार पर बीज का वितरण किया गया है। साथ ही किसानों का पंजीयन किया गया। जिसमें कृषि मैपर पोर्टल पर उनका पंजीयन हुआ है, और उसके लिए आधार कार्ड, जमीन के कागज आदि दस्तावेज लगे हैं।

बीज का वितरण जब किसानों को किया गया, उस समय उनकी फोटो ली गई और जहां पर वह बीज बो रहे हैं उस क्षेत्र का जीपीएस और जगह का फोटो भी लिया गया। यानी की पूरी जानकारी दर्ज की गई है।

इस बीज से कितना उत्पादन मिला और कैसे किसानों को फायदा हुआ उसके बारे में आगे जानकारी मिल सकती है। इस योजना से किसानों को फायदा हो रहा है। क्योंकि बीज का खर्चा घट जा रहा है, और अच्छी वैरायटी के बजे मिल रहे हैं जिससे किसानों को उत्पादन भी बढ़िया मिल सकता है।

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